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Rajnandgaon Lok Sabha Seat: साहू समाज की रहेगी Chunav में निर्णायक भूमिका; BJP के गढ़ में भूपेश लगा पाएंगे सेंध ?

Rajnandgaon Lok Sabha Seat: Chunav में साहू समाज की निर्णायक भूमिका, BJP के गढ़ में भूपेश लगा पाएंगे सेंध ?

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Sanjeet Kumar
Rajnandgaon Lok Sabha Seat: साहू समाज की रहेगी Chunav में निर्णायक भूमिका; BJP के गढ़ में भूपेश लगा पाएंगे सेंध ?

   हाइलाइट्स

  • बीजेपी मोदी के भरोसे, कांग्रेस विकास पर निर्भर
  • 8 विधानसभा सीटों में से 5 पर कांग्रेस का कब्‍जा
  • राजनांदगांव सीट पर जाति फैक्‍टर का असर नहीं
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Rajnandgaon Lok Sabha Seat: देश में लोकसभा चुनाव 2024 सात चरण में आयोजित किए जाएंगे। इसमें छत्‍तीसगढ़ की 11 सीटों को भी अलग-अलग चरणों में शामिल किया है।

छत्‍तीसगढ़ की सबसे हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट राजनांदगांव मानी जा रही है। जहां कभी कांग्रेस का कब्‍जा हुआ करता था, लेकिन अब यह बीजेपी का गढ़ बन चुकी है।

इसी लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस ने पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल को प्रत्‍याशी बनाया है। जबकि बीजेपी ने मौजूदा सांसद संतोष पांडे (BJP Candidate Santosh Pandey) को ही दोबारा से मौका दिया है। इस सीट पर 26 अप्रैल को मतदान होगा।

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पूर्व सीएम के राजनांदगांव (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) से प्रत्‍याशी बनाए जाने के बाद यह सीट हाईप्रोफाइल बन गई है। इस सीट पर अब सबकी नजर टिकी हुई है।

इस लोकसभा सीट में 8 विधानसभा शामिल है। जिनमें सबसे अधिक ओबीसी वर्ग निवास करता है। वहीं साहू समाज के मतदाताओं की संख्‍या भी इस सीट पर सबसे ज्‍यादा है।

साहू समाज इस सीट पर निर्णाय की भूमिका अदा करता है। हालांकि यहां पर जाति फैक्‍टर कभी हावी नहीं रहा है।

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   जातिगत फैक्‍टर नहीं रहा हावी

Rajnandgaon city

राजनांदगांव लोकसभा सीट (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) पर पिछले चुनावों की बात करें तो कहीं भी जातिगत समीकरण का फैक्‍टर हावी होता नहीं दिखाई पड़ता है।

इस सीट पर सबसे ज्‍यादा ओबीसी वोटर निवास करते हैं। जबकि पिछले चुनाव में मौजूदा सांसद संतोष पांडे (BJP Candidate Santosh Pandey) ने बीजेपी उम्‍मीदवार के रूप में यहां से जीत हालिस की है।

हालांकि इस सीट पर अब यह माना जा रहा है कि यहां का कोर वोटर जो वर्ष 2000 से पहले कांग्रेस का हुआ करता था, वह अब बीजेपी के कोर वोटर के रूप में तब्‍दील हो गया है।

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वहीं इस सीट में निवास करने वाले सबसे बड़े समूह साहू समाज का झुकाव लोकसभा (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) चुनावों में बीजेपी की ओर ही रहा है। ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस का पूर्व सीएम भूपेश बघेल (Congress Candidate Bhupesh Baghel) पर दांव कितना कारगार साबित होता है। जबकि बीजेपी ने मौजूदा सांसद पर ही भरोसा जताया है।

   सबसे बड़ा वर्ग साहू समाज

Rajnandgaon-sahu samaj

राजनांदगांव लोकसभा सीट (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) की बात करें तो यहां पर सबसे अधिक कोई समुदाय निवास करता है तो वह साहू समाज है। इस सीट पर साहू समाज वोट बैंक लगभग 5 लाख से ज्‍यादा है।

यही वह वोटर है जो हमेशा से निर्णाय की भूमिका में रहता है। इसी समाज पर सभी राष्‍ट्रीय राजनीतिक दलों की नजर रहती है।

हालांकि इस समाज की मांग के बाद भी किसी भी राष्‍ट्रीय दल ने समाज के किसी प्रतिनिधि को चुनाव मैदान में मौका नहीं दिया है।

   राजनांदगांव सीट में जाति समीकरण

राजनांदगांव (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) में सभी समाज वर्ग की बाहुलता है। हालांकि इसमें भी कुछ समुदाय की संख्‍या अधिक है। इनमें डोंगरगांव, खुज्जी क्षेत्र में साहू समाज के लोगों की बाहुलता है।

राजनांदगांव (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में भी इनकी संख्या ज्‍यादा है। मानपुर-मोहला क्षेत्र में सबसे ज्‍यादा आदिवासी निवास करते हैं।

यहां पर पिछड़ा वर्ग 5 % है। खैरागढ़ इलाके में लोधी समाज की संख्‍या अधिक है। डोंगरगढ़ सीट में अनुसूचित जाति वर्ग की बाहुलता है। पंडरिया और कवर्धा क्षेत्र में अलग-अलग समाज की सक्रियता रहती है।

   बीजेपी में बदला कांग्रेस का कोर वोटर

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बता दें कि जब छत्‍तीसगढ़ राज्‍य अस्तित्‍व में नहीं आया था तब तक राजनांदगांव सीट (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) में कांग्रेस का कब्‍जा था। हालांकि बीच में जिस समय इमरजेंसी लगी थी, उसके बाद जब 1977 में चुनाव हुए थे तो जनता पार्टी ने यहां से जीत हासिल की थी।

वर्ष 2000 में छत्‍तीसगढ़ राज्‍य मध्‍य प्रदेश से अलग होकर बना। तभी से राजनांदगांव सीट (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) पर बीजेपी का कब्‍जा रहा है। बता दें कि आजादी के बाद से 1999 के लोकसभा चुनाव तक इस सीट पर कांग्रेस का कोर वोटर बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गया।

ऐसा इसलिए हुआ क्‍योंकि बीजेपी का राम मंदिर अभियान और छत्‍तीसगढ़ श्रीराम का ननिहाल होने से लोग बीजेपी से जुड़ते गए।

यहां 1999 के लोकसभा चुनाव के बाद से बीजेपी प्रत्‍याशी ने विजयी हासिल की है। बीजेपी का धर्म कार्ड यहां हावी रहा है।

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Rajnandgaon seat

Rajnandgaon seat

   राजनांदगांव लोकसभा में इतने वोटर

छत्‍तीसगढ़ की सबसे हाईप्रोफाइल सीट राजनांदगांव लोकसभा (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) क्षेत्र में आठ विधानसभा- डोंगरगांव, मोहला-मानपुर, डोंगरगढ़, खैरागढ़, खुज्जी, पंडरिया, कवर्धा और राजनांदगांव शामिल है।

राजनांदगांव (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) में कुल 17,16,459 वोटर हैं। इनमें 8,57,304 पुरुष। जबकि महिला वोटरों की संख्या 8,59,149 है। यहां थर्ड जेंडर मतदाता 6 हैं।

Rajnandgaon Lok Sabha Seat-santosh panday

   मोदी की उपलब्धियां ताकत

संतोष पांडे को बीजेपी ने फिर से टिकट दिया है। उनके पिछले कार्यकाल में किसी तरह की कोई विवादित स्थिति नहीं रही। उनकी जनता के बीच मिलनसार छवि रही है। राजनांदगांव सीट (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) में सक्रिय युवाओं की बड़ी टीम संतोष पांडे के साथ है।

पिछले पांच सालों में उन्‍होंने कई विकास कार्य किए हैं। इसके साथ ही मोदी सरकार की उपलब्धियों का लाभ भी उन्‍हें मिलेगा।

   ये कमजोरी और चुनौती

बता दें कि 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को राजनांदगांव लोकसभा (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) क्षेत्र में आने वाली 8 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 5 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है।

बीजेपी को तीन विधानसभा सीटों पर ही जीत मिली है। रेल सेवा और स्टेशनों में यात्री सुविधाओं की कमियां दूर नहीं होने से कुछ वर्ग नाराज हैं।

वहीं भूपेश बघेल पूर्व मुख्‍यमंत्री रहे हैं, इस दौरान उन्‍होंने क्षेत्र में काफी विकास कार्य किए हैं। जिसका असर भी जनता पर हुआ है।

Rajnandgaon Lok Sabha Seat-bhupesh baghel

   कांग्रेस की ये बड़ी ताकत

राजनांदगांव लोकसभा (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का अच्‍छा होल्‍ड है। कांग्रेस के पिछले कार्यकाल में इन सीटों पर विकास कार्य हुए हैं।

इसका नतीजा वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने 8 सीटों में से पांच सीटों पर कब्‍जा किया है। तीन पर हार मिली है।

कांग्रेस ने इस सीट पर ओबीसी कार्ड खेला है। सबसे अधिक ओबीसी वोटर राजनांदगांव सीट पर ही हैं।

   कमजोरी और चुनौती

राजनांदगांव लोकसभा सीट (Rajnandgaon Lok Sabha Seat) से पूर्व सीएम भूपेश बघेल (Congress Candidate Bhupesh Baghel) को कांग्रेस ने टिकट दिया तो स्‍थानीय स्‍तर पर कांग्रेस नेताओं ने ही जमकर विरोध किया।

इसके चलते कांग्रेस पार्टी की अंतर्कलह को रोकना और अपने कार्यकर्ताओं को साधना बड़ी चुनौती है। वहीं लोकसभा में सबसे ज्‍यादा ओबीसी वोटरों का बीजेपी की ओर झुकाव रहा है, यहां पर जाति फैक्‍टर भी कोई खास काम नहीं करता है।

ऐसे में मोदी की लहर और मोदी की गारंटी के विश्‍वास को तोड़ना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।

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