हाइलाइट्स
- भोपाल में खुलेंगे तीन कचरा कैफे
- कचरे के बदले मिलेगा नाश्ता और खाना
- महिलाओं को मिलेगा आत्मनिर्भरता का मंच
रिपोर्ट- मान्या खरे
Kachra Cafe Bhopal: भोपाल में घरेलू कचरा बेचने-खरीदने के लिए शहर के लोगों को जल्द ही एक नया ऑप्शन मिलने वाला है। इसमें भोपालवासी अपना घरेलू कचरा (रद्दी, पॉलिथीन से लेकर इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट) एक ऐसे खास कैफे में बेच सकेंगे जहां उन्हें बदले में चाय-कॉफी से लेकर नूडल्स-बर्गर-पिज्जा जैसे स्नेक्स खाने को मिलेंगे।
भोपाल नगर निगम (BMC) की पहल पर शहर में जल्द ही ऐसे तीन कैफे शुरू किए जा रहे हैं, जिनका नाम रखा गया है कचरा कैफे ( Kachra Cafe)। आइए आपको विस्तार से बताते हैं शहर में घरेलू कचरे के डिस्पोजल के लिए शुरू की जा रही इस पहल के बारे में।
भोपाल में घरेलू Waste बेचने के लिए BMC की पहल से 3 कचरा कैफे तैयार, ये है इस कैफे की खासियत.!#bhopal #kachracafe #money #food #coupon pic.twitter.com/4OkFuXb9u9
— Bansal News Digital (@BansalNews_) June 28, 2025
कैफे काम कैसे करता है ?
Kachra Cafe में लोग अपना, सूखा कचरा यानी रद्दी कागज और गत्ते, इलेक्ट्रॉनिक कचरा यानी खराब बैटरी और कंप्यूटर्स, प्लास्टिक कचरा यानी सॉफ्ट और हार्ड प्लास्टिक आइटम्स, घरेलू हानिकारक कचरा यानी कांच की बोतल और टूटे हुए बल्ब लाकर दे सकते हैं। हर कचरे को तोलकर पॉइंट्स दिए जाते हैं। जितना वजन, उतने पॉइंट्स। इन पॉइंट्स के बदले लोग खाने-पीने की डिश ले सकते हैं।
लोगों का पॉजिटिव रिस्पॉन्स
शुरुआत में लोगों को यकीन नहीं हुआ कि कचरे के साथ ऐसा कुछ भी किया जा सकता है। लेकिन जब लोगों को एहसास हुआ कि ये एक सराहनीय प्रयास हमारे शहर का कचरा कम करने के लिए है तो वे भी इस मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगे हैं। उन्हें जो भी जैसा भी कचरा मिलता है उसे जमा करके इस कचरा कैफे में लेकर जाते हैं।
महिलाओं को मिला प्लेटफॉर्म
Kachra Cafe सिर्फ रीसाइक्लिंग का नहीं बल्कि सशक्तिकरण का भी केंद्र है। यहां सिर्फ कचरा नहीं बदला जाता, जिंदगियां भी बदलती हैं। कैफे ने आकांक्षा ग्रुप नाम के महिला समूह के साथ पार्टनरशिप की है। शहर की मेहनती महिलाओं और बुजुर्गों द्वारा बनाए हैंडमेड उत्पाद जैसे कोकोनट हस्क से बनाए सामान, मिट्टी से बनाए उत्पाद, कैंडल, मूर्तियां भी कचरे के बदले लिए जा सकते हैं।
अगर कोई पुराने कपड़े भी लेकर आता है तो उन्हें उन कपड़ों के थैले बनाकर भी दिए जाते हैं, जिससे कपड़ों का भी रीयूज हो सके। ऐसी व्यवस्था महिलाओं को सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही है।
जरूरतमंदों के लिए अच्छी पहल
Kachra Cafe ऐसे लोगों के लिए एक सहारा बन रहा है जो दो वक्त के खाने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। कई लोग पीठ पर बोरी लेकर सुबह से कचरे की तलाश में निकल जाते हैं। ऐसे लोगों को Kachra Cafe में कचरे के बदले अच्छा खाना और जरूरत का सामान मिल रहा है। कचरा कैफे की संचालक अंचिता सबलोक का कहना है कि अगर कोई जरूरतमंद 5 कांच की बॉटल या प्लास्टिक भी लेकर आता है तब भी हम उसे खाना देते हैं।
हमें X, Facebook, WhatsApp, Instagram पर फॉलो करें। हमारे यू-ट्यूब चैनल Bansal News MPCG को सब्सक्राइब करें।
Dr. Hari Singh Gour University 2025-26: अब डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में स्टूडेंट्स को मिलेंगे पाठ्यक्रम के कई नए विक
सागर स्थित डॉ. हरीसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में शैक्षणिक सत्र 2025-26 से कई नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। इन कोर्सेज को विश्वविद्यालय की विद्या परिषद की हालिया बैठक में स्वीकृति मिल गई है। कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में विभिन्न अकादमिक विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें