नई दिल्ली। वैसे तो हर महीने के कष्ण पक्ष Kaal Bhairav Jayanti 2022: अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। लेकिन इस अष्टमी अगहन माह की अष्टमी को इसलिए खास माना गया है। क्योंकि ये दिन कालभैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव भैरव के रूप में प्रकट हुए थे। कालभैरव जयंती को भैरव अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है।
काल भैरव जयंती का महत्व
हिंदू शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने भगवान काल भैरव के रूप में जन्म लिया था। इसलिए इस दिन को भगवान काल भैरव की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिए ये दिन खास माना जाता है। इसलिए भगवान काल भैरव या भगवान शिव के भक्तों के लिए इस दिन का बहुत महत्व है।
काल भैरव जयंती शुभ मुहूर्त
कुछ त्योहार उदयातिथि के अनुसार मनाए जाते हैं। यानि सूर्योदय के समय जो तिथि होती है। कालभैरव जयंती इस बार 16 नवंबर, बुधवार यानी आज मनाई जा रही है। इस बार काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाएगी। यह तिथि आज सुबह यानि 16 नवंबर को सुबह 05:49 मिनट पर शुरू हो गई है। जो कल सुबह यानि 17 नवंबर को सुबह 07:57 मिनट तक रहेगी।
काल भैरव जयंती पूजन विधि
1. कालाष्टमी के दिन शिवजी के स्वरूप काल भैरव की पूजा करनी चाहिए।
2. इस दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नानादि करके व्रत का संकल्प लेकर शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव या भैरव का पूजन करें।
3. शाम के वक्त भगवान शिव के साथ माता पार्वती को दीपक जरूर जलाएं।
4. धर्म शास्त्र के अनुसार का भैरव को तांत्रिकों का ईष्ट माना गया है। इसलिए इनकी पूजा रात में भी करने का विधान है।
5. काल भैरव की पूजा में दीपक, काले तिल, उड़द, और सरसों के तेल जरूर उपयोग किया जाना चाहिए। हो सके तो पूजन के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटियां जरूर खिलाएं। क्योंकि काले कुत्ते को भैरव बाबा का प्रतीक माना जाता है।
6. काल भैरव के मदिरापान का सेवन नहीं करना चाहिए।