World Day Against Child Labour: आज (12 जून) को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने की मुख्य वजह बच्चों को मजदूरी न कराकर उनको स्कूलों की ओर शिक्षा के लिए प्रेरित करना है।
आंकड़ों में हुई वृद्धि!
आजकल हर जगह हम छोटे-छोटे बच्चों को काम करते हुए देखते हैं। इसके पीछे की कई वजह हैं। इसमें मुख्य वजह करीबी है। बाल श्रम धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। दुनिया में साल 2021 में बाल श्रम में लगे बच्चों की संख्या बढ़कर 160 मिलियन पहुंच गई थी। ये रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और यूनिसेफ ने जारी की थी।
वहीं, भारत में साल 2011 की जनगणना के मुताबिक 5-14 साल वर्ग के एक करोड़ से भी ज्यादा बच्चे बाल श्रम की दलदल में धकेले गए थे।
बाल श्रम की सजा
यदि कोई 14 साल से छोटे बच्चे से काम कराता है, तो उसके खिलाफ बाल श्रम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 1860, बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976, बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986, किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2000 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
वहीं, 18 साल तक के बच्चों को किसी खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया में शामिल किया जाता है, तो उसे 1-6 महीने की जेल की सजा या 20,000 से 50,000 के बीच जुर्माना या दोनों सजा हो सकती हैं।
बाल मजदूर दिवस का इतिहास
साल 2002 में बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस की स्थापना इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन ने की थी। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ के 187 सदस्य देश हैं।
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