रायपुर/जगदलपुर से रजत वाजपेयी की रिपोर्ट। 3 राज्यों की सीमा से घिरे बस्तर में सक्रिय बड़े माओवादी नक्सली (maoist naxalites) नेताओं के खिलाफ जल्द ही ज्वाइंट ऑपरेशन (joint operation) तेज किए जाएंगे। यह निर्णय नक्सल मामले को लेकर शनिवार को की गई बैठक में लिया गया है। पुलिस मुख्यालय में आयोजित की गई इस इंटरस्टेट कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक (interstate coordination committee meeting) में तेलंगाना, आंध्र, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के अधिकारी के साथ ही आईबी के एडिशनल डायरेक्टर रित्विक रुद्रा भी शामिल हुए।
माओवादी नक्सली के खिलाफ ज्वाइंट ऑपरेशन चलाएंगे
3 राज्यों की सीमा से घिरे बस्तर में सक्रिय बड़े माओवादी नक्सली (maoist naxalites) नेताओं के खिलाफ जल्द ही सुरक्षा बल संयुक्त ऑपरेशन (ज्वाइंट ऑपरेशन joint operation ) चलाएंगे। इसमें छत्तीसगढ़ के जवानों का साथ तेलंगाना और ओड़िशा के सुरक्षा बल के जवान भी देंगे। इंटरस्टेट कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक (interstate coordination committee meeting) के बाद जो संकेत मिल रहे हैं, उसके मुताबिक बारिश से पहले बड़ा ऑपरेशन प्लान किया जा सकता है। डीकेएसजेडसी के टॉपमोस्ट 7 माओवादी सुरक्षा बल के जवानों के निशाने पर रहेंगे।
बस्तर के सीमाई इलाके माओवादी नक्सलियों की पनाहगाह
बस्तर के सीमाई इलाके माओवादी नक्सलियों (maoist naxalites) की सुरक्षित पनाहगाह माने जाते हैं। वारदातों को अंजाम देने के बाद माओवादी नक्सली जंगलों के रास्ते दूसरे राज्यों में ठिकाना तलाश लेते हैं और सुरक्षा बल के जवान दूसरे राज्य में जाकर इनके खिलाफ सीधी कार्रवाई नहीं कर पाते।
इसका फायदा लंबे समय से नक्सली उठाते रहे हैं। इस बार फोर्स ने माओवादी नक्सलियों के खिलाफ इंटरस्टेट कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक (interstate coordination committee meeting) में ज्वाइंट ऑपरेशन (joint operation) की ऐसी रणनीति तैयार की है, जो नक्सलियों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। 7 बड़े केडर वाले माओवादियों पर फोर्स की नजर रहेगी। इन्हें चारों ओर से घेरने की रणनीति पर काम किया जा रहा है।
डीआरजी, एसटीएफ, कोबरा जवान करेंगे ज्वाइंट ऑपरेशन
जानकार भी मानते हैं कि इससे पहले के सभी ज्वाइंट ऑपरेशन (joint operation) काफी हद तक कामयाब रहे हैं। ऐसे में यदि बारिश से पहले एक और ऑपरेशन होता है तो नक्सलियों माओवादियों (maoist naxalites) को सिर छिपाने के लिए जगह तलाशनी पड़ेगी। समझा जा रहा है कि तेलंगाना की विशेष प्रशिक्षित ग्रे-हाऊंड्स के अलावा ओड़िशा के मलकानगिरी इलाके में सक्रियता से काम कर रही एसओजी और महाराष्ट्र की सी-60 फोर्स के जवान बस्तर में सेवाएं दे रहे डीआरजी, एसटीएफ, कोबरा जवानों के साथ कोऑर्डिनेशन के साथ नक्सलियों के दांत खट्टे करने की तैयारी कर रहे हैं। इंटरस्टेट कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक (interstate coordination committee meeting) में यह फैसला लिया गया।
पैरामिलेट्री फोर्स के जवान सरहद नहीं पहचानते
पैरामिलेट्री फोर्स के जवान सरहद नहीं पहचानते। ऐसे में एक से दूसरे राज्य या जिले तक जाकर ऑपरेशन पूरा करना इनकी विशेषता है। बीते कुछ समय से नक्सलियों मओवादियों (maoist naxalites) पर फोर्स के जवान भारी पड़ते दिखे हैं और यही वजह है कि पुलिस इस मौके का फायदा उठाना चाहती है। बहरहाल इंटरस्टेट कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक (interstate coordination committee meeting) में ज्वाइंट ऑपरेशन (joint operation) किए जाने के इस पूरे अभियान को किस हद तक सफलता मिलेगी, इसे लेकर पुलिस प्रशासन भी नए गणित बिठाने में व्यवस्त नजर आ रहा है।
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