नई दिल्ली। Patna News: जनता दल (यूनाइटेड) ने शनिवार को राष्ट्रीय पदाधिकारियों की एक नयी सूची घोषित की, जिसे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंजूरी दी है। कुमार ने करीब एक महीने पहले ही जदयू अध्यक्ष का पद संभाला था। वरिष्ठ समाजवादी नेता, राज्यसभा सदस्य एवं कुमार के करीबी सहयोगी वशिष्ठ नारायण सिंह को जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है।
लल्लन सिंह ने छोड़ा था पार्टी अध्यक्ष का पद
लल्लन सिंह ने तीन साल पहले स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए जदयू प्रदेश इकाई के प्रमुख का पद छोड़ दिया था। सिंह की कुमार के साथ मित्रता 1974 में बिहार में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले छात्र आंदोलन के समय की है। सिंह ने मंगनी लाल मंडल की जगह ली है, जो पिछले साल मार्च में चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बाद जदयू उपाध्यक्ष बनने वाले दूसरे नेता थे।
पार्टी प्रवक्ता रहेंगे राजीव रंजन
प्रशांत किशोर ने 2017 में जदयू उपाध्यक्ष का पद छोड़ दिया था। मंडल को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है।जदयू नेता के.सी. त्यागी को ‘‘राजनीतिक सलाहकार और प्रवक्ता’’ बनाया गया है। सूची में दूसरे प्रवक्ता राजीव रंजन हैं, जो मुख्यमंत्री के गृह जिला नालंदा के पूर्व विधायक हैं और पिछले साल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़ने के बाद जदयू में लौटे थे।
हालांकि, रंजन अब राष्ट्रीय महासचिव नहीं हैं। राष्ट्रीय महासचिवों की संख्या घटाकर 11 कर दी गई है, जबकि पिछले साल मार्च में सामने आयी पिछली सूची में यह संख्या 20 थी।
ललन सिंह लोकसभा चुनाव पर करेंगे फोकस
तब पार्टी का नेतृत्व राजीव रंजन सिंह ‘ललन’ कर रहे थे। राजीव रंजन सिंह ने अपनी मुंगेर लोकसभा सीट पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पिछले महीने पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ दिया था। राजीव रंजन सिंह ने पार्टी अध्यक्ष पद इन अफवाहों के बीच छोड़ा था कि वह सहयोगी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के करीबी हो गए हैं।
हालांकि, ललन पर नीतीश कुमार का अभी भी विश्वास है और वह विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठकों में संजय कुमार झा के अलावा नीतीश कुमार के साथ रहे हैं।
संजय कुमार झा राष्ट्रीय महासचिव
संजय कुमार झा को राष्ट्रीय महासचिव के रूप में बरकरार रखा गया है। झा राष्ट्रीय महासचिवों की सूची में शामिल होने वाले बिहार के एकमात्र मंत्री हैं। जिन अन्य लोगों को प्रमुख पद पर बरकरार रखा गया है उनमें राज्यसभा सदस्य रामनाथ ठाकुर शामिल हैं, जिनके दिवंगत पिता कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे और नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद के राजनीतिक गुरु थे।
अल्पसंख्यकों को भी दी जगह
अल्पसंख्यकों को इसका स्पष्ट संकेत देते हुए कि पार्टी उनकी परवाह करती है, मोहम्मद अली अशरफ फातमी, अफाक अहमद खान और कहकशां परवीन को भी राष्ट्रीय महासचिव के रूप में बरकरार रखा गया है। खान जदयू के पुराने नेता हैं, वहीं फातमी एक पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं जो 2019 में पार्टी में शामिल हुए जब उन्होंने तेजस्वी यादव पर अशिष्ट व्यवहार का आरोप लगाते हुए राजद छोड़ दी थी।
अल्पसंख्यकों के बीच पैठ बनाने का प्रयास
परवीन 2014 में 35 वर्ष की आयु में ही राज्यसभा के लिए चुनी गई थीं, जिसे भाजपा से नाता तोड़ने के बाद कुमार ने स्वयं को अल्पसंख्यकों के बीच पैठ बनाने के एक प्रयास के रूप में देखा गया था। जदयू के महासचिवों की सूची में आश्चर्यजनक रूप से महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य कपिल हरिश्चंद्र पाटिल को शामिल किया गया है, जो दिवंगत नेता शरद यादव के करीबी माने जाते हैं।
आलोक कुमार सुमन बने रहेंगे कोषाध्यक्ष
यादव ने सबसे लंबे समय तक जदयू का नेतृत्व किया, लेकिन अपने करियर के अंत में पार्टी के साथ अपना नाता तोड़ लिया था। गोपालगंज (सुरक्षित) सीट से सांसद आलोक कुमार सुमन को कोषाध्यक्ष के रूप में बरकरार रखा गया है, जो पदाधिकारियों की नयी सूची में एकमात्र मौजूदा लोकसभा सदस्य बन गए हैं।
6 राष्ट्रीय सचिव भी पदाधिकारियों में शामिल
इस सूची में राजीव रंजन प्रसाद सहित 6 राष्ट्रीय सचिव भी शामिल हैं, जिन्हें अक्सर समाचार चैनलों पर चर्चाओं में पार्टी का प्रतिनिधित्व करते देखा जा सकता है। राष्ट्रीय सचिवों में एक और उल्लेखनीय नाम हरनौत के पूर्व विधायक सुनील कुमार उर्फ ‘इंजीनियर’ का है। नीतीश कुमार इस विधानसभा सीट से 1980 के दशक में विधायक रहे थे।
ये भी पढ़ें:
Railway Recruitment 2024: असिस्टेंट लोको पायलट के पदों पर निकली भर्ती, 10वीं पास कर सकतें अप्लाई
Rashmika Mandanna DeepFake Video: रश्मिका मंदाना का ‘डीपफेक’ वीडियो बनाने वाला मास्टरमाइंड गिरफ्तार
Bijapur Naxalites News: बीजापुर में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़,सर्च अभियान पर थी पुलिस