नई दिल्ली। कहते हैं कि वह सर्दी ही क्या जिसमें दांत न किटकिटाएं और मुंह से धुआं न निकले। सर्दी का मजा तो तभी है जब हमारे शरीर के सभी रोएं खड़े हो जाएं और उसके बाद आग के पास बैंठकर शरीर को गर्म करना पड़े। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर इंसान को सर्दी क्यों लगती है, या ठंड में हमारे दांत क्यों किटकिटाते हैं?
इस वजह से किसी को ठंड लगती है तो किसी को गर्मी
बतादें कि हर इंसान को अलग-असग हिसाब से ठंड लगती है। कोई मामूल ठंड में ही गर्म कपड़े पहनने लगता है तो कोई थोड़ा अधिक सर्दी में भी साधारण कपड़े पहन कर घूमता है। ये सब निर्भर करता है उसके शरीर के त्वचा में मौजूद सेंसरों पर जिनकी संख्या हर इंसान में अलग-अलग होती है। तापमान में परिवर्तन होने पर शरीर कांपना शुरू कर देता है या रोएं खेड़े हो जाते हैं।
ठंड से बचाव में बाल सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। मानव शरीर पर बाल त्वचा के जिस हिस्से से जुड़े होते हैं वहां ठंड होने पर मांसपेशियां अकड़ने लगती हैं और बाल खड़े हो जाते हैं। जिन जीवों में या जिनके शरीर पर बहुत बाल होते हैं उनमें बालों की परत ऊष्मारोधी या अवरोधी परत की तरह काम करती है।
ठंड में दांत क्यों किटकिटाते हैं?
दरअसल, शरीर के कुछ और भी आत्मरक्षक तरीके होते हैं। जब शरीर को एहसास होता है कि उसे और तापमान की जरूरत है तो कंपकपी लगती है। अकसर ऐसी स्थिति में निचले जबड़े में किटकिटाहट होने लगती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में आंतरिक तापमान बनाए रखने का ज्यादा बेहतर तंत्र होता है। उनके शरीर की संरचना ही कुछ ऐसी होती है जिससे आंतरिक अंगों को गर्मी मिलती रहती है।
डॉक्टर क्या कहते हैं
डॉक्टरों के मुताबिक शरीर का सामान्य तापमान 98.08 डिग्री फारेनहाइट होता है। यदि यह गिर कर 97 डिग्री फारेनहाइट पर पहुंच जाए तो शरीर में कंपकंपी होने लगती है। यह कंपकंपी दिल के माध्यम से हमें दिया जाना वाला सिगनल है कि उसे अब गर्मी की जरूरत है। इसके लिए शरीर अपनी मांसपेशियों को इस प्रक्रिया में सख्त कर लेता है।
वैसे इसके पीछे एक और तर्क यह है कि हमारा शरीर गर्मी के लिए हिलने-डुलने लगता है, इसी क्रम में दांत भी कटकटाते हैं। जी हां, ये एक इनवॉलन्ट्री एक्शन है और आपका इस पर कोई जोर नहीं चलता, यानी चाहकर भी आप इसे रोक नहीं पाओगे। जब शरीर गर्म होता है, तो यह अपने आप बंद हो जाता है।