नई दिल्ली। हम अपने दैनिक जीवन में कई बार बारकोड का इस्तेमाल करते हैं। चाहे वह किसी कंपनी में हो या किसी शॉपिंग मॉल में या फिर किसी दुकान में। सामान खरीदने के बाद पेमेंट के लिए या फिर मॉल में सामान को ट्रेक करने के लिए बारकोड का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कोड कैसे काम करता है? ज्यादातर लोग इस बात को नहीं जानते। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ये बारकोड है क्या और कैसे काम करता है।
आसान भाषा में कहें तो बारकोड एक इलेक्ट्रॉनिक कोड होता है जिसे केवल मशीन द्वारा ही पढ़ा जा सकता है। ये मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं। पहला ‘लाइनर बारकोड’ और दूसरा 2D बारकोड।
लाइनर बारकोड क्या है?
किसी प्रोडक्ट के पैकेट के बाहर काले रंग की 10 या 10 से अधिक लंबी काली लाइनें आपने देखी होंगी। इसे ही ‘लाइनर बारकोड’ (Linear Barcode) कहा जाता है। इस कोड में प्रोडक्ट से संबंधिक सारी जानकारी होती। इसे बस ऑप्टकल स्कैनर (Optical Scanner) की सहायता से ही पढ़ा जा सकता है। सफलातपूर्वक बिजनेस के लिए अब सभी कंपनियां अपने प्रोडक्ट में बारकोड का इस्तेमाल करती है। बारकोड दिखने में काफी छोटे होते हैं। परंतु इन्हें स्कैन करने पर प्रोडक्ट से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की जा सकती है।
2D बारकोड क्या है?
शुरूवात में केवल लाइनर बारकोड ही थे जिसे केवल ऑप्टिकल स्कैनर की मदद से ही पढ़ा जा सकता था। परन्तु समय के साथ टेक्नोलॉजी में हुए बदलाव के कारण इनके आकार और आकृति में बदलाव हुए। अब इन्हें स्मार्टफोन की सहायता से भी पढ़ा जा सकता है। समार्टफोन की सहायता से पढ़े जाने वाले कोड को ही 2D बारकोड या QR कहते हैं। लाइनर बारकोड की तुलना में इसमें ज्यादा जानकारी स्टोर की जा सकती है। साथ ही इसे आसानी से स्मार्टफोन की सहायता से स्कैन किया जाता है।
कैसे काम करता है बारकोड?
जब आप मॉल से सामान लेने के बाद Billing के लिए कैश काउंटर पर जाते हैं तो वहां बैठा व्यक्ति बारकोड को ऑप्टिकल स्कैनिंग की प्रक्रिया से गुजारता है। यह स्कैनर उस कंप्यूटर से कनेक्ट होता है जिस कंप्यूटर से हमें खरीदे गए उत्पाद के बिल की पर्ची प्राप्त होती है। कंप्यूटर में पहले से ही प्रोडक्ट के बारे में सारी जानकारी सेव रहती है। स्कैन करते ही कंप्यूटर में पहले से सेव जानकारी और बारकोड में दी गई जानकारी एक दूसरे का तेजी से मिलान करते हैं। मिलान होने के बाद ही हम प्रोडक्ट का बिल पे करते हैं।
तकनीकी पक्ष क्या है?
वहीं अगर इसके तकनीकी पक्ष को देखें तो बारकोड में मुख्यत: पांच जोन होते हैं। जिसमें क्विट जोन, स्टार्ट जोन, स्टार्ट करैक्टर, डाटा कैरेक्टर तथा स्टॉक कैरेक्टर शामिल है। प्रत्येक बारकोड की शुरूआत स्पेशल कैरक्टर के साथ होती है, जिसे स्टार्ट कोड कहा जाता है। स्टार्ट कोड, बारकोड स्कैनर को प्रोडक्ट के शुरूवाती जानकारी के बारे में बताता है तथा स्टॉक कोड, बारकोड स्कैनर को प्रोडक्ट के आखिरी चरण के बारे में बताता है।
क्या है बारकोड का इतिहास?
आधुनिक बारकोड को नॉर्मन जॉसेफ वुडलैंड और बर्नार्ड सिल्वर नामक दो व्यक्तियों ने विकसित किया था। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि 1959 के दशक के दौरान रेलमार्ग गाड़ियों पर नजर रखने के लिए डेविड कोलिन्स ने एक प्रणाली विकसित की थी जिसमें पहली बार बारकोड का इस्तेमाल किया गया था। समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए और धीरे-धीरे करके इसका इस्तेमाल कई जगहों पर किया जाने लगा।