नई दिल्ली। भारत में अक्सर चुनाव के समय ईवीएम पर सवाल उठाये जाते हैं और कहा जाता है कि जीतने वाली पार्टी ने इसमें फर्जीवाड़ा किया है। साथ ही कई पार्टियों की तरफ से बैलेट पेपर से चुनाव कराने का सुझाव दिया जाता है। लेकिन, तकनीक के इस दौर में बैलेट पेपर से चुनाव कराना अपने आप को दशकों पीछे ले जाने जैसा। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि रूस में 17 सितंबर से शुरू हुए तीन दिवसीय संसदीय चुनाव में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में मौजूद दो एस्ट्रोनॉट्स ने ऑनलाइन तरीके से अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
इन्होंने स्पेस से डाला वोट
रूस के अंतरिक्ष यात्री ओलेग नोवित्स्की और प्योत्र दुबोव ने स्पेस से ही अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट दिया। इसकी जानकारी अंतरिक्ष एजेंसी Roscosmos ने वीडियो अपलोड कर दी है। बतादें कि रूस में संसदीय चुनाव आने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से काफी अहम माना जाता है। इस बार रूस की सत्तारूढ़ पार्टी यूनाइटेड रशिया अपने नियंत्रण पर पकड़ बनाए रखने के लिए काफी संघर्ष कर रही है। राष्ट्रपति पुतिन भी पार्टी की जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
पहले भी अंतरिक्ष यात्री देते रहे हैं वोट
बतादें कि इससे पहले भी स्पेस से अंतरिक्ष यात्री वोट देते रहे हैं। अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री स्पेस से ही अपने मताधिकार का प्रयोग करते रहे हैं। टेक्सास कानून उन्हें अंतरिक्ष से इलेक्ट्रॉनिक वोट करने की अनुमति देता है। साल 2016 के चुनाव में एस्ट्रॉनॉट एडवर्ड माइकल फिंक और ग्रेग चैमिटॉफ ने ISS ने अपना वोट स्पेशल सीक्रेट मतपत्र के जरिये किया दिया था।
ऐसे दिया जाता है वोट
अमेरिकी स्पेस यात्रियों के लिए नियम है कि अगर वो चुनाव के दिन या शुरूआती वोटिंग के समय अंतरिक्ष में है तो वह संघीय पोस्टकार्ड आवेदन यानी FPCA के जरिये वोटिंग कर सकता है। चुनाव से एक दिन पहले एस्ट्रॉनॉट को एक एनक्रिप्टेड ई मतपत्र अपलिंक किया जाता है। मताधिकार का प्रयोग करने के बाद एस्ट्रॉनॉट ई मतपत्र को पृथ्वी पर डाउनलिंक कर देते हैं।