नई दिल्ली। भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने सारी व्यवस्थाओं की पोल खोल के रख दी है। लोगों को न अस्पताल में जगह मिल रही है और न ही मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए श्मशान में। हाल ही में हमने देखा कि बिहार और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर गंगा नदी में कई शव तैरते हुए मिले। अनुमानित वो शव कोरोना पीड़ितों के थे। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर जिंदा इंसान पानी में डूब जाता है लेकिन मृत व्यक्ति तैरने लगता है, ऐसा क्यों होता है।
तैरने के लिए हम क्या करते हैं?
दरअसल, इसके पीछे विज्ञान है। किसी वस्तु का पानी पर तैरना उसके घनत्व और उस वस्तु द्वारा हटाए गए पानी पर निर्भर करता है। जिस चीज का घनत्व ज्यादा होगा वो चीज पानी में डूब जाएगी। यही कारण है कि हम जब पानी में तैरते हैं तो आस-पास के पानी को अपने घनत्व के बाराबर हटाते हैं। क्योंकि इंसानी शरीर का घनत्व पानी के घनत्व से कहीं ज्यादा होता है।
क्या मृत्यु के तुरंत बाद पानी पर तैरने लगता है शरीर?
लेकिन अगर कोई व्यक्ति डूब जाए और उसकी मृत्यु हो जाए तो क्या उसका शरीर पानी में तुरंत ऊपर आना शुरू हो जाता है?, इस सवाल का जवाब है नहीं। ऐसा नहीं होता बल्कि मृत्यु के बाद शरीर पहले पानी के बिल्कुल नीचे जहां तक जा सकता है, वहां चला जाता है। इसके बाद मृत शरीर के अंदर गैस बनने लगता है और उसका शरीर फूलने लगता है। फूलने की वजह से शरीर का आयतन बढ़ जाता है और शरीर का घनत्व कम हो जाता है। जब घनत्व कम हो जाता है। तब इस स्थिति में शव पानी पर तैरने लगता है।
मृत होने के बाद शरीर डीकंपोज होता है
मालूम हो कि मृत व्यक्ति के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली काम करना बंद कर देती है। इस अवस्था में शरीर डीकंपोज होने लगता है। मृत शरीर में बैक्टीरिया उसकी कोशिकाओं और ऊतकों को खत्म करना शुरू कर देते हैं। बैक्टीरिया के कारण शरीर के अंदर मौजूद विभिन्न गैसों जैसे अमोनिया, मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन आदि शरीर में बनना और निकलना शुरू हो जाता है। तब ये शरीर पानी पर तैरने लगता है।