Weird Wedding Ritual: शादी एक ऐसी रस्म है जिसमें janna jaruri hai हर जगह लाल mp wedding ritual रंग का उपयोग किया जाता है। वो भी इसलिए क्योंकि लाल Ajab Gajab रंग शुभ होता है। hindi news साथ ही ये सुहाग का प्रतीक होता है। पर क्या आपने कभी ऐसे रिवाज के बार में सुना है जहां नई नवेली दुल्हन की विदाई लाल कपड़ों में नहीं बल्कि विधवा वाले सफेद कपड़ों में होती है। जी हां आपको सुनने में जरूर थोड़ा अजीब लग रहा होगा। पर ये सच है। ये गांव भारत के मध्यप्रदेश में ही स्थित है। जहां एक समुदाय ऐसा भी है जहां बेटी की विदाई पर माता—पिता उसका लाल जोड़ा खुलवाकर उसे सफेद कपड़ों में विदा करते हैं।
आखिर कहां पर है ये अनोखा गांव —
शादी को लेकर निभाई जाने वाली ये अनोखी परंपरा एमपी यानि मध्यप्रदेश के भीमडोंगरी गांव की है। जहां एक जाति ऐसी भी है जो वैसे तो सभी परंपराएं अन्य लोगों की तरह ही मनाई जाती है लेकिन विदाई के समय कुछ ऐसा होता है जो सबको हैरान कर देता है।
आखिर क्या है ये परंपरा —
इस परंपरा में पूरी शादी तो आम शादियों की तरह होती है। लेकिन विदाई के दौरान यहां बेटी को लाल नहीं बल्कि सफेद कपड़ों में विदा किया जाता है। इतना ही नहीं यहां शादी में शामिल होने आए लोग भी सफेद कपड़े पहनकर ही शामिल होते हैं।
सफेद कपड़े पहनने के पीछे क्या है कारण —
दरअसल इन जनजाति के लोगों द्वारा सफेद कपड़े पहनने के पीछे भी एक कारण है। ऐसा करने के पीछे भी एक कारण है। दरअसल इस जनजाति के लोग सफेद रंग को शुभ मानते हैं। इसलिए वे शादी में भी सफेद रंग के कपड़ों का उपयोग करते हैं। दुल्हन की सफेद साड़ी के पीछे के पीछे बेहद खास मान्यता है। दरअसल इस गांव में गौंडी धर्म के लोग रहते हैं। इस धर्म के लोगों के लिए सफेद रंग बेहद पवित्र माना जाता है। यही कारण है कि लोग शादी के मौके पर इस रंग के लिबाज को बेहद शुभ मानते हैं।
और भी अलग तरह की हैं परंपराएं —
आपको बता दें कि गौंडी धर्म के लोग लंबे समय से अनेक रिवाजों को मानते आए हैं। बता दें कि यहां पर शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसके अलावा अन्य समुदायों में फेरे की रस्म दुल्हन के घर पर होती है। लेकिन इस समुदाय फेरे को लेकर काफी दिलचस्प हिसाब है। बता दें कि इस समुदाय में चार फेरे दुल्हन के घर पर होते हैं और बाकी के 3 फेरे दूल्हे की तरफ लिए जाते हैं। लोगों के सफेद लिबाज को देखकर आप यह तय नहीं कर पाएंगे कि शादी है या फिर किसी दुखद समारोह में शामिल हुए हैं।