नई दिल्ली। भारत में कोरोना के दूसरे स्ट्रेन ने लोगों को अपने चपेट में लेना शुरू कर दिया है। रोजाना संक्रमितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। महामारी से निजात पाने के लिए सरकार भी लगातार समीक्षा बैठक कर रही है। साथ ही लोगों को जागरूक भी कर रही है। वहीं वैक्सिनेशन को भी तेज करने की बात कही जा रही है। लेकिन इस बीच गौर करने वाली बात ये है कि कई राज्यों ने वैक्सीन की कमी को लेकर सवाल खड़े किए हैं। ऐसे में जानना जरूरी है कि क्या सच में वैक्सीन की कमी है या फिर इस मामले में बस राजनीति की जा रही है।
आंकडे कुछ और ही कह रहे हैं
बतादें कि वैक्सीन की कमी को लेकर महाराष्ट्र सराकर, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और दिल्ली सरकार केंद्र को घेरने की कोशिश में है। उनका कहना है कि राज्यों में बस 3 दिन की वैक्सीन ही बची है। लेकिन वहीं अगर हम वैक्सीन की डिलीवरी और उसके उपभोग के आंकड़े को देखें तो कहानी कुछ और ही है। क्योंकि वैक्सीन्स की कमी की बात बोल कर बस डर पैदा किया जा रहा है।
राजनीतिक दलों को ये है आरोप
दरअसल, राजनैतिक दलों का कहना है कि वैक्सीन को मदद के नाम पर मैत्री देशों को भेज दिया गया और इससे देश में कोरोना वैक्सीन की कमी हो गई। लेकिन आंकड़ो को देखें तो अब तक भारत में 9.4 करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं और बाहर भेजी गई वैक्सीन की संख्या 6.45 करोड़ है। जिन वैक्सीन्स को बाहर भेजा गया उनमें गिफ्ट की केवल 1.05 करोड़ डोज है जो नेपाल, म्यामार, बांग्लादेश जैसे पड़ोसियों को भेजी गई हैं। जबकि करीब 3.45 करोड़ टीके दूसरे देशों ने भारत से खरीदे हैं। यानि इसमें देश को ही फायदा हुआ है।
इस कारण से भारत दूसरे देशों को मुहैया करा रहा है वैक्सीन
साथ ही इसमें से ज्यादातर टीके मार्च से पहले ही भेजे गए हैं। हाल के दिनों में किसी भी देश को बड़ी संख्या में टीकों की आपूर्ति नहीं की गई है। अब कई लोग इस पर भी सवाल उठाएंगे कि भारत दूसरे देशों को वैक्सीन क्यों दे रहा है, तो बतादूं कि भारत WHO के एग्ज्युकेटिव बोर्ड का मेंबर प्रमुख है। इस नाते अंतर्राष्ट्रीय कमिटमेंट निभा रहा है और दूसरे देशों को वैक्सीन मुहैया करा रहा है।
राज्य वैक्सीन को ठीक ढंग से नहीं रख पा रहे
वहीं, जो राज्य सरकार केंद्र पर वैक्सीन कम देने का आरोप लगा रही है। उनकी सच्चाई ये है कि राज्यों में भेजी गई लगभग 6 प्रतिशत वैक्सीन खराब हो गईं। क्योंकि वहां वैक्सीन का रखरखाव सही ढंग से नहीं किया गया। इस कारण से अब केंद्र सरकार को वैक्सीन के लिए मिनट टू मिनट मॉनिटरिंग करनी पड़ रही है। मतलब साफ है कि अब केंद्र सरकार राज्यों को उतना ही वैक्सीन भेज रही है जितने का वो इस्तेमाल कर पा रहे हैं।