नई दिल्ली। रक्षाबंधन के बाद यदि किसी Janmashtami 19 August 2022 त्योहार को लोगों को बेसब्री से इंतजार56 bhog ki shuruat होता है तो वो है श्री कृष्ण जन्माष्टमी। इस वर्ष जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनाई जाएगी। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाए जाने वाले इस त्योहार में रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भगवान विष्णु ने कृष्ण रूप में मथुरा में जन्म लिया था।
इसके बाद कृष्ण गोकुल चले गए थे। जहां उनका जन्मोत्सव बहुत धुमधाम से मनाया गया है। ब्रज में चारों तरफ नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की का संगीत सुनाई दिया। जन्माष्टमी के दिन भक्त व्रत रखते हैं और तरह-तरह के व्यजन बनाए जाते हैं।
मध्य रात्रि में जन्म के बाद भगवान का श्रृंगार किया जाता है। नई पोशाक पहनाकर 56 भोग का भोग लगता है। साथ ही भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगेगा। पर क्या आप जानते हैं कि इस छप्पन भोग की शुरूआत कैसे हुई। यदि नहीं तो आइए आज हम आपको बताते हैं।
दिन में 8 बार करते थे भोजन कृष्ण
गोकुल धाम में माता यशोदा और नंदलाल के साथ जब श्रीकृष्ण रहते थे। मां यशोदा उनके लिए आठ पहर का भोजन बनाती थीं। एक बार ब्रजवासी स्वर्ग के राजा इंद्र की पूजा करने के लिए बड़ा आयोजन कर रहे थे। कृष्ण ने नंदलाल से पूछा कि आखिर यह आयोजन किस चीज के लिए हो रहा है। नंदलाल ने कहा कि यह देवराज इंद्र की पूजा के लिए आयोजन हो रहा है। इस पूजा देवराज प्रसन्न होंगे और अच्छी बारिश करेंगे,
ब्रजवासियों पर आया था गुस्सा
कृष्णजी ने नंदलाल से कहा कि इंद्र का काम तो बारिश कराना है। तो उनकी पूजा क्यों हो रही है। अगर करना है तो पूजा गोवर्धन पर्वत की करें। जो हमें सब्जियां प्राप्त कराते हैं साथ ही पशुओं को भी घास मिलती है। कृष्णजी की बात से सभी समर्थ हुए सभी ने इंद्र की पूजा न करके गोवर्धन की पूजा करना शुरू कर दिया। इससे इंद्रदेव रूष्ट हो गए। उन्हें अपमान महसूस हुआ। ब्रजवासियों के इस कृत्य से उनको क्रोध आया।
कृष्णजी ने इस तरह की रक्षा
इंद्रदेव ने क्रोधित होकर ब्रज में भयंकर बारिश कर दी। तेज बारिश की वजह से हर तरफ पानी ही पानी हो गया। ये देखकर ब्रजवासी घबरा गए। तब कृष्णजी ने कहा इस अतिवृष्टि से गोवर्धन ही रक्षा कर सकते हैं। अत: उनकी शरण में चलें। वहीं ब्रज को इंद्र के क्रोध से बचाएंगे। कृष्णजी ने कनिष्ठा उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठा कर पूरे ब्रज की रक्षा की। भगवान कृष्ण गोवर्धन पर्वत को सात दिन तक उठाए रखे थे। इस दौरान उन्होंने भोजन ग्रहण नहीं किया था।
आठ पहर से सात दिन के भोजन
आठवें दिन बारिश बंद हुई। तब कहीं जाकर ब्रजवासी बारिश से बच सके। इस दौरान कृष्ण ने सात दिन तक कुछ नहीं खाया। चूंकि कृष्णजी दिन में आठ बार खाना खाते थे। इसलिए सात दिन के हिसाब से आठ पहर के 56 प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए थे। जो भगवान कृष्ण को पसंद हैं।
ऐसा लगता है 56 भोग
— 20 तरह की मिठाई
— 16 प्रकार की नमकीन
— 20 प्रकार के ड्राई फ्रूट्स
& इसके अलावा 56 भोग में माखन मिश्री, लौकी की सब्जी, रबड़ी, पिस्ता, लड्डू, खीर, बादाम का दूध, रसगुल्ला, मठरी, जलेबी, चटनी, मूंग दाल का हलवा, मालपुआ, मोहनभोग, बैंगन की सब्जी, टिक्की, काजू, बादाम, इलायची, घेवर, चिला, पूरी, मुरब्बा, दही, साग, पकौड़ा, खिचड़ी, चावल, दाल, कढ़ी और पापड़ होते हैं।