जानना जरूरी है: संक्रमित होने के बाद आमतौर पर स्वाद या गंध क्यों खत्म हो जाता है? -

जानना जरूरी है: संक्रमित होने के बाद आमतौर पर स्वाद या गंध क्यों खत्म हो जाता है?

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नई दिल्ली। कोरोना संक्रमित होने पर कई लोग इन दिनों स्वाद और गंध चले जाने की समस्या से जूझ रहे हैं। हालांकि ऐसा तब भी होता जब कोई मरीज प्लू से पीड़ित हो। लेकिन कोरोना संक्रमण के ज्यादातर मामलों में मरीज को किसी भी तरह की गंध या स्वाद आना बंद हो जाता है। ऐसा क्यों होता है आज हम यही जानने की कोशिश करेंगे।

समान्य फ्लू में भी सूंघने की क्षमता चली जाती है

मालूम हो कि समान्य फ्लू होने पर भी लगभग 60% लोगों में सूंघने की क्षमता कम हो जाती है और साथ ही स्वाद चला जाता है। केवल तेज गंध को ही वो सूंघ पाते हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण में गंध पूरी तरह से चला जाता है। इसमें कितनी भी तेज गंध हो, मरीज को कोई फर्क नहीं पड़ता। इसे आमतौर पर कोविड की शुरूआती लक्षण माना जाता है।

इस कारण से चले जाते हैं स्वाद और गंघ

विशेषज्ञों का कहना है कि जब वायरस शरीर में प्रवेश की कोशिश करता है तो हमारे भीतर की कोशिकाएं, जिन्हें होस्ट सेल कहते हैं। उसमें ACE2 नाम के प्रोटीन से जुड़ता है। ये प्रोटीन आमतौर पर नाक और मुंह में बहुतायत में होता है। लेकिन कोरोना सबसे पहले इस पर ही हमला करता है। इस कारण से स्वाद और गंध दोनों चले जाते हैं।

नाक या मुंह से वायरस करता है हमला

वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस म्यूकस वाली जगहों, जैसे नाक या मुंह से सबसे ज्यादा किसी व्यक्ति पर हमला करता है, लिहाजा वहां पर ACE2 प्रोटीन के डैमेज होने के कारण संक्रमित को सूंघने या गंध महसूस करने में दिक्कत होती है।

86 प्रतिशत कोरोना मरीजों में ये लक्षण दिखाई दिए

बतादें कि गंध और स्वाद जाने को मेडिकल की भाषा में एनोस्मिया (anosmia) कहते हैं। ये अवस्था कई दूसरी बीमारियों में भी दिखती है, जब मरीज की गंध और स्वाद चले जाते हैं। वही कोरोना के मामले में एक रिसर्च में पाया गया कि माइल्ड अवस्था में करीब 86 प्रतिशत लोगों ने स्वाद और गंघ जाने की शिकायत की वहीं मॉडरेट या फिर गंभीर अवस्था वाले केवल 4 से 7 प्रतिशत मरीज में ही स्वाद और गंध जाने जैसे लक्षण दिखे।

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