नई दिल्ली। मौसम से जुड़ी हुई जितनी खबरों को हम देखते या पढ़ते हैं तो उसमें मौसम विभाग रंगों के आधार पर अलर्ट जारी करता है। जैसे रेड, ऑरेंज, ग्रीन या येलो। लेकिन कई लोग इन चीजों को नहीं जानते कि आखिर मौसम विभाग ऐसा क्यों करता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि इसके पीछे का राज क्या है?
कई एजेंसियां मिलकर इन रंगों को चुनती है
दरअसल, मौसम विभाग की तरफ से चेतावनी देने के लिए जिन रंगों का चयन किया जाता है। उसे कई एजेंसियां मिलकर चुनती है और इसे मौसम विभाग अलर्ट को मौसम के खराब होने की तीव्रता के आधार पर जारी करता है। मौसम जितना ज्यादा गंभीर होगा, उसकी गंभीरता के हिसाब से विभाग के अलर्ट का रंग बदलता है। सबसे भीषण स्थिति में विभाग की तरफ से रेड अलर्ट जारी किया जाता है।
1. ग्रीन अलर्ट
इस कड़ी में पहले नंबर पर आता है ग्रीन अलर्ट। इसका मतलब है सबकुछ ठीक है और कोई एक्शन लेने की जरूरत नहीं है। मौसम विभाग ग्रीन अलर्ट की स्थिति में कोई चेतावनी नहीं जारी करता है।
2. येलो अलर्ट
दूसरे नंबर पर येलो अलर्ट। इसे मौसम विभाग किसी भी प्राकृतिक आपदा से पहले लोगों को सचेत करने के लिए जारी करता है। इस प्रकार की चेतवानी में 7.5 से 15 मिमी. की भारी बारिश होती है, जिसके अगले एक या दो घंटे तक जारी रहने की संभावना होती है। इस बारिश के कारण बाढ़ आने की आशंका रहती है। इसलिए येलो अलर्ट जारी करके लोगों को सावधान किया जाता है। साथ ही इससे यह भी पता लगता है कि मौसम आने वाले दिनों में खराब हो सकता है।
3. ऑरेंज अलर्ट
ऑरेंज अलर्ट को तब जारी किया जाता है। जब खतरे की पूरी संभावना हो। मौसम विभाग के तरफ से जैसे-जैसे मौसम और खराब होता है तो येलो को अपडेट करके ऑरेंज कर दिया जाता है। ऑरेंज अलर्ट जारी होने पर लोगों को इधर-उधर जाने के प्रति सावधानी बरतने के लिए भी कहा जाता है। ऑरेंज अलर्ट में हवा की स्पीड लगभग 65 से 75 किमी. प्रति घंटा होती है। साथ ही 15 से 33 मिमी. की बारिश होने की भी आशंका बनी रहती है।
4. रेड अलर्ट
मौसम विभाग के तरफ से रेड अलर्ट तब जारी किया जाता है जब स्थिति काफी खतरनाक हो और भारी नुकसान होने की आशंका हो। इसके जारी होने के बाद प्रशासन से जरूरी कदम उठाने के लिए भी कहा जाता है। मॉनसून की स्थिति में इस तरह के अलर्ट का ऐलान तभी होता है जब 30 मिमी. से ज्यादा बारिश की संभावना हो और यह कम से कम 2 घंटे तक होती ही रहे।