Jaijaipur: जांजगीर और सक्ति जिले के बीच करीब 30 किलोमीटर तक फैली हुई जैजैपुर विधानसभा सीट, यहां आज भी ज्यादातर लोगों के मुख्य आय का स्त्रोत कृषि ही है। हर तरह की आबादी को अपने में समेटे जैजैपुर में समस्याएं शिकायतें अलग-अलग है।
यहां के सियासी समीकरण से रूबरू होने से पहले यहां के सियासी इतिहास को समझ लेते हैं। आज भी यहाँ मूलभूत सुविधाओं की कमी है। सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में आज भी पिछड़ा है जैजैपुर।
जैजैपुर ये क्षेत्र पहले मालखरौदा विधानसभा के अंतर्गत आता था जितना छोटा यहां का सियासी इतिहास है उतना ही मजेदार यहां का सियासी समीकरण रहा है।
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद 2003 में हुए चुनाव मे बसपा प्रत्याशी लालसाय खूंटे ने बीजेपी प्रत्याशी निर्मल सिन्हा को हराया पर ये जीत ज्यादा दिन चल न सकी और 2007 के उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी निर्मल सिन्हा ने इस सीट पर जीत दर्ज की।
बसपा का गढ़ है जैजैपुर विधानसभा
2008 के चुनाव में जैजैपुर विधानसभा अस्तित्व में आया और यहां के पहले विधायक बने कांग्रेस के महंत राम सुंदर दास, लेकिन 2013 में बसपा प्रत्याशी केशव चंद्रा ने जीत दर्ज की और कांग्रेस तीसरे स्थान पर जा पहुंची और बीजेपी प्रत्याशी कैलाश साहू दूसरे स्थान पर रहे।
2018 के चुनाव में पूरे प्रदेश में कांग्रेस ने कमाल का प्रदर्शन किया पर जैजैपुर विधानसभा मे बसपा का दबदबा कायम रहा और केशव चंद्रा पहले से ज्यादा मजबूती के साथ बरकरार रहे।
आने वाले 2023 के चुनाव मे कांग्रेस अपनी सीट वापस पाने की भरसक कोशिश करेगी तो वहीं बीजेपी यहां अपना खाता खोलने को बेताब है।
वर्तमान में अगर देखें तो कुल 2 लाख 33 हजार मतदाता है जैजैपुर विधानसभा में।
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