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हाइलाइट्स
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा
केंद्र की राजनीति में सब-कुछ ठीक-ठाक नहीं ?
उपराष्ट्रपति का इस्तीफा गंभीर राजनीतिक घटनाक्रम का इशारा
jagdeep dhankhar resignation controversy: उपराष्ट्रपति के पद से जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे से नई दिल्ली में केंद्र की राजनीति का माहौल अचानक से गरमा गया है। धनखड़ के अचानक इस्तीफा देने और विदाई भाषण और इसके लिए किसी समारोह में भी शामिल नहीं होने के फैसले से राजनीति के गलियारों में सवाल उठाए जा रहे हैं कि केंद्र की राजनीति में इन दिनों सब-कुछ ठीक-ठाक नहीं है।
गंभीर राजनीतिक घटनाक्रम का इशारा
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उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ का इस्तीफा[/caption]
माना जा रहा है कि उपराष्ट्रपति के पद से धनखड़ का इस्तीफा राजी-खुशी से नहीं बल्कि अचानक किसी गंभीर राजनीतिक घटनाक्रम की वजह से हुआ है। धनखड़ के अचानक इस्तीफे को लेकर विपक्ष, सत्ता पक्ष को घेरने का प्रयास कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में जुट गया है। सत्ता पक्ष की ओर से इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा अन्य किसी भी बड़े नेता की प्रतिक्रिया सामने न आने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
सत्ता पक्ष से पीएम मोदी के अलावा किसी की प्रतिक्रिया नहीं
https://twitter.com/narendramodi/status/1947548037271724226
प्रधानमंत्री मोदी की ओर से मंगलवार 22 जुलाई को दोपहर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की गई पोस्ट में लिखा गया है कि श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। में उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।
BAC की बैठक से शुरू हुआ घटनाक्रम
https://twitter.com/Jairam_Ramesh/status/1947491241790226824
कांग्रेस नेता जयराम रमेश के मुताबिक मंगलवार, 21 जुलाई को राज्यसभा के सभापति के रूप में जगदीप धनखड़ ने दोपहर 12:30 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति BAC) की अध्यक्षता की। इस बैठक में सदन के नेता एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू सहित अधिकांश सदस्य मौजूद थे। इस बैठक में सदन की कार्यवाही को लेकर कोई सहमति न बन पाने पर तय हुआ कि समिति की अगली बैठक शाम 4:30 बजे फिर से होगी।
शाम की बैठक में नहीं आए नड्डा और रिजिजू
शाम 4:30 बजे सभापति जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में समिति के सदस्य दोबारा बैठक के लिए इकट्ठा हुए लेकिन बैठक में सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री रिजिजू नहीं आए। सभी सदस्य बैठक के लिए नड्डा और रिजिजू का इंतजार करते रहे, लेकिन वे दोनों बैठक में शामिल होने के लिए नहीं आए।
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केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और किरण रिजिजू[/caption]
दोपहर और शाम के बीच हुई कोई गंभीर बात ?
बताया जा रहा है कि बैठक में नड्डा और रिजिजू की अनुपस्थिति के बारे में सभापति जगदीप धनखड़ को भी अवगत नहीं कराया गया कि दोनों मंत्री बैठक में नहीं आएंगे। माना जा रहा है कि उन्हें इस बात का बहुत बुरा लगा और उन्होंने कार्य मंत्रणा समिति की बैठक मंगलवार 22 जुलाई दोपहर 1:00 बजे के लिए टाल दी। स्पष्ट है कि सोमवार दोपहर 1:00 बजे से लेकर शाम 4:30 बजे के बीच सरकार के स्तर पर कुछ ऐसी गंभीर बात हुई है जिसके कारण जेपी नड्डा और किरण रिजिजू ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इसके बाद ही सभापति जगदीप धनखड़ ने सेहत और डॉक्टर की सलाह का हवाला देते हुए हुए अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर देश को चौंका दिया।
नड्डा की ओर से आई ये सफाई
हालांकि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में नहीं शामिल होने को लेकर राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा ने सफाई दी कि मैंने और किरण रिजिजू ने सभापति की ओर से शाम 4:30 बजे बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इसका कारण यह है कि हम दोनों किसी अन्य महत्वपूर्ण संसदीय कार्य में व्यस्त हो गए थे। इसकी सूचना सभापति कार्यालय को दे दी गई थी।
जस्टिस वर्मा केस में सक्रियता से उठे सवाल
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हाईकोर्ट जस्टिस यशवंत वर्मा[/caption]
राजनीतिक गलियारों में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे को लेकर तमाम तरह के कयास और अटकलें लगाई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि वे राज्यसभा में सभापति के तौर पर विपक्ष के प्रति अचानक जरूरत से ज्यादा उदार हो गए थे। खासतौर पर उन्होंने जिस तरह से हाईकोर्ट जज वर्मा पर महाअभियोग चलाने का विपक्ष का प्रस्ताव जिस तेजी से स्वीकार किया। उसे लेकर भी सत्ता पक्ष की ओर से सवाल खड़े किए गए।
न्याय पालिका के खिलाफ धनखड़ की तीखी बयानबाजी
उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति के रूप में धनखड़ न्याय पालिका को लेकर पिछले कई समय से लगातार और तीखी बयानबाजी करते रहे हैं। माना जा रहा है कि वह संसद में जस्टिस वर्मा पर महाभियोग की कार्यवाही का प्रमुख चेहरा बनना चाहते थे। विपक्ष ने इस बारे में राज्यसभा में महाभियोग का नोटिस मंजूर कराकर इस कार्यवाही का श्रेय लेने का प्रयास किया।
सत्ता पक्ष को नहीं लगी नोटिस मंजूर होने की भनक
सूत्रों के मुताबिक विपक्ष के नोटिस और राज्यसभा के सभापति द्वारा इसे स्वीकार कर लिए जाने की कोई भनक सत्ता पक्ष को नहीं लगी। बताया जा रहा है कि विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति को जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाअभियोग का नोटिस देने की कार्यवाही को पूरी तरह गोपनीय रखा। यह 21 जुलाई को दोपहर करीब 2:00 बजे तब हुआ जब यह खबर आई कि संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के 100 से ज्यादा सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाअभियोग प्रस्ताव के नोटिस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
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पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़[/caption]
जस्टिस वर्मा के मामले में धनखड़ की अतिसक्रियता
उधर राज्यसभा में सोमवार, 21 जुलाई को शाम 4:07 पर सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को महाभियोग के प्रस्ताव पर विपक्ष के 63 सांसदों से नोटिस मिलने की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने सदन के सभी सदस्यों को महाभियोग की प्रक्रिया का विवरण दिया और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से यह पुष्टि करने को भी कहा कि क्या इसके लिए निचले सदन यानी लोकसभा में भी नोटिस दे दिया गया है। जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया पर धनखड़ के इस रवैया को उनकी अति सक्रियता माना गया।
राज्यसभा से शुरू कराना चाहते थे महाअभियोग की प्रक्रिया
यह भी माना जा रहा है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाअभियोग की प्रक्रिया धनखड़ राज्यसभा से शुरू करना चाहते थे। इसी के चलते उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर इसके लिए संयुक्त समिति के गठन और नियमों के अनुसार सदन में आगे की कार्यवाही की बात रखी। हालांकि इस समय तक उनकी सदन में सक्रियता से कहीं से भी इस बात का कोई संकेत या अंदेशा नहीं लग रहा था कि वह बीमार हैं या अब से कुछ समय बाद उपराष्ट्रपति के तौर पर अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपने वाले हैं।
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भारत के उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा, स्वास्थ्य कारणों का दिया हवाला
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Vice President Jagdeep Dhankhar Resign: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारण का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर अपना इस्तीफा दिया है। जगदीप धनखड़ 2022 में उपराष्ट्रपति बने थे। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 को पूरा होना था। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...
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