जगदलपुर से रजत वाजपेयी की रिपोर्ट। Jagdalpur News: आए दिन माओवादियों नक्सलियों से संबंधित कई खबरें पढ़ने, सुनने को मिलती हैं। लेकिन यह खबर कुछ अलग है। दरअसल, छत्तीसगढ़ के दक्षिण पश्चिम बस्तर के इस पूरे इलाके में हर आने-जाने वाला माओवादी नक्सलियों (maoists naxalites) को एंट्री फीस देता है। यह सब होता है इंद्रावती टाइगर (indravati tiger reserve) रिजर्व में।
50 रुपए की रसीद कटवानी पड़ती है
यहां लोगों को माओवादी नक्सलियों (maoists naxalites) का इतना खौफ है कि 50 रुपए की रसीद कटवाए बिना यहां से कोई नहीं निकल पता। माओवादी नक्सली हर आने-जाने वाले को बिना रसीद कटवाए यहां से निकलने नहीं देते। लगभग 2000 स्क्वायर किलोमीटर इलाके में फैले इस इंद्रावती टाइगर नेशनल पार्क (indravati tiger reserve) में डीवीसी मेंबर दिलीप माओवादियों नक्सलियों के संगठन को लीड करता है।
माओवादी नक्सलियों (maoists naxalites) ने बनाए नियम
माओवादी नक्सलियों (maoists naxalites) द्वारा यहां बनाए गए नियम के तहत यहा से कोई भी व्यक्ति वन तस्करी नहीं सकता। ना ही हरे-भरे पेड़ों की कटाई कर सकता है। यहां लगे बैरियर पर हर आने-जाने वाले का नाम दर्ज किया जाता है। माओवादी नक्सलियों के इस आधिपत्य वाले इंद्रावती टाइगर रिजर्व (indravati tiger reserve) के इलाके में जाने वालों का रिकॉर्ड मेंटेन किया जाता है।
1975 में इंद्रावती टाइगर रिजर्व (indravati tiger reserve) को नेशनल पार्क बनाया था
यहां बता दें कि साल 1975 में सरकार ने इंद्रावती टाइगर रिजर्व (indravati tiger reserve) के लिए नेशनल पार्क बना दिया था, लेकिन यहां के पिल्लूर और सागमेटा में आज भी माओवादी नक्सलियों (maoists naxalites) की नेशनल एरिया कमेटी टाइगर रिजर्व के अंदर जाने और आने वालों का नाम दर्ज करती है। इन दो बैरियर के लिए एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स माना जाता है।
माओवादियों नक्सलियों (maoists naxalites) की सुरक्षित पनाहगाह बना
दरअसल, माओवादियों नक्सलियों (maoists naxalites) के लिए अब इंद्रावती टाइगर रिजर्व (indravati tiger reserve) का एरिया सुरक्षित पनाहगाह बन चुका है। नेशनल पार्क एरिया में सुरक्षा बल के जवानों की नजरों से दूर माओवादियों नक्सलियों का नया बसेरा तैयाार हुआ है। हाल ही में इस सच्चाई के उजागर होने के बाद से सुरक्षा बल के जवानों में भी चिंता है। हालांकि, पुलिस दावे कर रही है कि पहले की तुलना में माओवादी काफी हद तक कमजोर पड़े हैं और उनके लड़ने की क्षमता भी क्षीण हुई है।
विकास से संबंधित कामों के लिए अनुमति नहीं मिल पाती
संसाधन विहीन इस पूरे इलाके में विकास से संबंधित कामों के लिए अनुमति नहीं मिल पाती और यही वजह है कि विकास न हो पाने के कारण आज भी इंद्रावती टाइगर रिजर्व (indravati tiger reserve) जैसे इलाके माओवादियों नक्सलियों (maoists naxalites) के पाकेट्स बने हुए हैं। पुलिसिंग के अलावा इस पूरे इलाके में गवरनेंस भी नहीं है, जिसकी वजह से नक्सली पूरे इलाके में निर्बाध गतिविधियों का संचालन कर पा रहे हैं।
यह भी पढ़ें-
Delhi Mukherjee Nagar: राजधानी के कोचिंग सेंटर में लगी आग, जान बचाने तीसरी मंजिल से कूदे बच्चे
Ambikapur News: 21 साल की आदिवासी लड़की से निकाह का एफिडेविट बनवा रहे 45 वर्षीय व्यक्ति की पिटाई
MP Election 2023: “कमलनाथ संदेश यात्रा” से क्या संदेश देगी कांग्रेस, पहले चरण की समाप्ति दतिया पर
MP Election 2023: “कमलनाथ संदेश यात्रा” से क्या संदेश देगी कांग्रेस, पहले चरण की समाप्ति दतिया पर