नई दिल्ली। Jagannath Rath Yatra 2023: 19 जून को उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 2023 निकलेगी। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में बांटा जाने वाला महाप्रसाद पाने के लिए भक्त आतुर रहते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि इस महाप्रसाद की खासियत क्या है। यदि नहीं तो चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं महाप्रसाद से जुड़ी रोचक बातें।
मिट्टी के बर्तन में बनता है प्रसाद
जगन्नाथ मंदिर में बनने वाला महाप्रसाद मिट्टी के बर्तनों में तैयार किया जाता है। सबसे बड़ी बात प्रतिदिन पकवान बनाने के लिए नए बर्तन का उपयोग किया जाता है। जिस मिट्टी के बर्तन का उपयोग होता है वह लाल रंग के होते हैं।
महाप्रसाद होता है सात्विक भोजन
जगन्नाथ मंदिर की रसोई में तैयार किया जाने वाला महाप्रसाद बहुत शुद्ध तरीके से बनाया जाता है। यानि इसमें किसी भी तरह के लहसुन व प्याज का उपयोग नहीं किया जाता। यह भोजन पूर्ण रूप से सात्विक होता है। सबसे खास बात ये भोजन धर्म ग्रंथों में बताए गए नियमों के अनुसार ही बनाया जाता है।
कुंए का पानी होता है महाप्रसाद बनाने में उपयोग
यहां भगवान के महाप्रसाद में भोजन बनाने के लिए केवल कुंए के पानी का उपयोग किया जाता है। जिस कुंए के पानी का उपयोग होता है। उसका नाम गंगा—जमुना है। इन दो पवित्र नदियों के नाम पर होने के कारण इसका पानी बेहद शुद्ध माना जाता है।
लगता है 56 भोग का महाप्रसाद
भगवान को प्रतिदिन 6 वक्त भोग लगाया जाता है। इसी तरह 56 तरह के पकावान का भोग भगवान जगन्नाथ को लगाया जाता है।
इस तरीके से तैयार होना महाप्रसाद
भगवान जगन्नाथ स्वामी के लिए 56 तरह के भोग तैयार किए जाते हैं। जिन्हें तैयार करने का तरीका भी अलग होता है। इसके लिए 7 मिट्टी के बर्तन को एक के उपर एक रखा जाता है। साथ ही ये लकड़ी की अग्नि में तैयार होता है। सबसे आश्चर्य की बात ये है कि इसमें सबसे उपर रखी सामग्री सबसे पहले पकती है। जिसे भक्त चमत्कार से कम नहीं मानते।
महाप्रसाद कभी समाप्त नहीं होता
ऐसा माना जाता है दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में बनने वाला ये महाप्रसाद कितने भी भक्तों को बांट दिया जाए। लेकिन ये कभी समाप्त नहीं होता। ये प्रसाद लाखों लोगों की भूख मिटाने का एक जरिया भी है। शायद इसलिए जब कभी समाप्त न होने वाले भोजन की बात आती है तो उसे भगवान जगन्नाथ स्वामी का प्रसाद कहा जाता है।