हाइलाइट्स
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जगन्नाथ पुरी रथयात्रा का दूसरा दिन आज
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53 साल बाद 2 दिनों की रथयात्रा
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पहले दिन 5 मीटर ही आगे बढ़ा रथ
Jagannath Puri Rath Yatra: ओडिशा के पुरी में दो दिनों की जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा निकाली जा रही है। इस बार रथयात्रा दो दिनों की है, जो कि 53 साल बाद हो रहा है।
सोमवार (8 जुलाई) को यात्रा के दूसरे दिन मंगला आरती और भोग के बाद यात्रा दोबारा शुरू हुई।
दूसरे दिन भी बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु
रथयात्रा के दूसरे दिन का जश्न मनाने के लिए पुरी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे हुए हैं।
#WATCH | Odisha: Drone visuals of the Jagannath Rath Yatra in Puri
Devotees in large numbers are gathered in Puri to celebrate the second day of Rath Yatra. pic.twitter.com/mwf2JccN22
— ANI (@ANI) July 8, 2024
द्रौपदी मुर्मू हुईं शामिल
जगन्नाथ पुरी की इस रथ यात्रा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल हुईं थी। उन्होंने भक्तों के साथ भगवान का रथ खींचा। इसके बाद वे वहां से लौट गई हैं।
बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु शनिवार की शाम भुवनेश्वर पहुंच गई थीं। ये रथयात्रा शाम 5 बजे के बाद शुरू हुई थी, जो कि सूर्यास्त के साथ ही रोक दी गई थी। इस दौरान भगवान जगन्नाथ का रथ सिर्फ 5 मीटर ही आगे बढ़ा था।
रविवार को रात 2 बजे हुई थी मंगला आरती
पुरी में रविवार से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की शुरुआत हुई। रविवार को सुबह 4 बजे की बजाय रात 2 बजे मंगला आरती की गई।
भगवान को आम दिनों के मुताबिक 2 घंटे पहले जगाया गया। मंगला आरती सुबह 4 की बजाय रात 2 बजे हुई। उसके बाद दशावतार पूजन हुआ।
दो दिन की रथयात्रा क्यों?
जगन्नाथ मंदिर के पंचांगकर्ता डॉ. ज्योति प्रसाद ने बताया कि हर साल जगन्नाथ रथयात्रा एक दिन की होती है। हालांकि, इस साल दो दिन की रथयात्रा निकाली जा रही है। इससे पहले 1971 में ये यात्रा दो दिन की थी।
पंचांगकर्ता डॉ. ज्योति प्रसाद ने इसके पीछे का कारण भी बताया। उन्होंने कहा कि तिथियां घटने की वजह से ऐसा हुआ है।
हर साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ को स्नान कराया जाता है। इसके बाद वे बीमार पड़ जाते हैं और आषाढ़ कृष्ण पक्ष के 15 दिनों तक बीमार रहते हैं, जिसके चलते उनके दर्शन नहीं हो पाते हैं।
उसके बाद यानी कि 16वें दिन भगवान का श्रृंगार किया जाता है और आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से रथयात्रा शुरू होती है। पंचांगकर्ता ने बताया कि
इस साल तिथियां घटने की वजह से आषाढ़ कृष्ण पक्ष में 15 दिन नहीं बल्कि 13 ही दिन थे। इस वजह से भगवान जगन्नाथ 16वें दिन यानी कि द्वितीया पर ठीक हुए।