जबलपुर से अमित सोनी की रिपोर्ट।
जबलपुर। Dussehra 2023: असत्य पर सत्य की जीत के महापर्व दशहरा की पूरे देश में धूम है। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के जबलपुर में विजयदशमी की एक अलग और अनूठी छटा देखने को मिलती है, जो बहुत खास है।
यहां पर दशहरा से एक दिन पहले ऐतिहासिक ‘पंजाबी दशहरा पर्व’ मनाया जाता है। यह विशिष्ट परंपरा 71 सालों से चली आ रही है।
61 फीट ऊंचे रावण का हुआ दहन
इस बार जब 61 फीट ऊंचे अहंकार के विशालकाय रावण का दहन हुआ, तो आसमान आतिशबाजी से रंगीन हो गया।
इस मौके पर पंजाबी वेशभूषा में आकर्षक नृत्य किया गया। साथ ही यहां पर इंटरनेशनल श्याम बैंड के 200 कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से लोगों का खूब मन मोहा।
नवमी को होता है रावण दहन
देशभर में विजयादशमी पर्व को लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं, इसी क्रम में प्रदेश के जबलपुर शहर में पंजाबी दशहरा पर्व मनाया जाता है।
पूरे देश में यह सबसे अनूठा है। यहां पर नवमी के दिन ही रावण का दहन किए जाने की परंपरा है।
ऐसे जल उठा अहंकारी रावण
पंजाबी दशहरा के इस समारोह में सामाजिक बुराइयों का संदेश देते विशालकाय रावण के साथ मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले खड़े थे।
प्रतीकात्मक स्वरुप भगवान श्रीराम ने जैसे ही तीर छोड़ा उसके बाद महज 20 सेकंड में अहंकारी रावण धूं-धूंकर जल उठा।
इस कार्यक्रम का आयोजन पंजाबी हिन्दू एसोसिएशन की ओर किया जाता है।
हर साल बढ़ जाता है रावण का कद
नवरात्रि के नवमी के दिन जबलपुर के पंजाबी हिन्दू एसोशिएसन द्वारा आयोजित इस भव्य दशहरा में रावण का कद हर साल बढ़ जाता है।
जो इस बात का प्रतीक है बुराई बढ़ती जा रही है। लेकिन इसका पुतला दहन यह संदेश देता है कि बुराई और असत्य चाहे कितना भी क्यों न बढ़ जाए, उसका विनाश इसी प्रकार होता है, जैसे कि रावण का दहन होता है।
मुस्लिम कारीगर बनाते हैं ये पुतले
इस बार 61 फीट ऊंचा रावण का पुतला दहन के लिए तैयार किया गया था। वहीं मेघनाथ और कुम्भकर्ण की ऊंचाई 55 फीट रखी गई थी।
नर्मदा तट ग्वारीघाट के नजदीक आयुर्वेदिक कॉलेज ग्राउंड में खड़े ये विशालकाय पुतले अपने अहंकारी चरित्र को दर्शा रहे थे।
ख़ास बात यह है कि हिन्दू धर्म के इस त्यौहार के इस आयोजन के लिए रावण, मेघनाथ, कुम्भकर्ण के पुतलों को मुस्लिम कारीगर बनाते हैं।
इफ्तिकार आलम चार दशक से बना रहे हैं रावण
इस प्राचीन हिन्दू रिवाज के लिए रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद का पुतला बनाने का काम एक मुस्लिम परिवार द्वारा किया जाता है। जबलपुर के पंजाबी दशहरे यह भी एक खासियत है।
वर्तमान में इसका निर्माण करने वाले कारीगर का नाम है मो. इफ्तिकार आलम। वे बताते हैं कि उनके परिवार की चार पीढ़ियां इस काम को बखूबी करती आ रही हैं।
बता दें, पंजाबी दशहरे के लिए तैयार किए गए ये पुतले अंबाला डिजाइन के है। अकेले जबलपुर के लिए ये कारीगर 15 से ज्यादा रावण के पुतलों का निर्माण करते हैं।
1992 में बना था 90 फीट का रावण
सबसे ऊंचा 90 फीट का रावण 1992 में बनाया था। रावण और कुम्भकरण का पुतला बनाने वाले मो. इफ्तिकार से इस कला को सीखने वाले कलाकार अब एमपी के अलावा दूसरे राज्यों में भी ऐसे पुतले बनाने लगे हैं।
पंजाबी दशहरा की सांप्रदायिक सदभावना की झलक कुछ इस तरह भी देखने मिलती है।
दुलदुल घोड़ी का भी हुआ नृत्य
आज के इस अनूठे आयोजन का एक और आकर्षण था दुलदुल घोड़ी का नृत्य और उसके कलाकार। लोगों ने इसका भरपूर आनंद उठाया।
इस के साथ ही लोगों के संगीत की धुन से समा बांधने के लिए महशूर इंटरनेशनल श्याम बैंड के 200 कलाकारों की टीम की प्रस्तुति ने आयोजन की खूबसूरती में चार चाँद लगा दिए।
बैंड धुनों पर हो या फिर दुलदुल घोड़ी का नृत्य या फिर अन्य किसी कलाकार प्रस्तुति, वहां उपस्थित लोग थिरकते नजर आए।
जमकर हुई आतिशबाजी
विशालकाय रावण के अलावा इस आयोजन में विशेष आकर्षण का केंद्र यहां की आतिशबाजी रहती है।
जुगनू से लेकर ताजमहल तक के अनोखे आतिशबाजी के आइटम की प्रस्तुतियां देख लोग हैरान रह गए। प्रसिद्ध शिवकाशी और अन्य आतिशबाजों ने एक से बढ़कर एक आतिशबाजी का प्रदर्शन किया।
इस बार हाई स्पीड 440, किंग आफ किंग, सिजनिंग सालसा, पोओ गोल्ड, स्काई स्क्रेपर्स ब्लू बरियर्स, टाइटेनियम ट्री कलर फर्लसन, वर्ल्ड वंडर जब चलाए गए, तो जमीन से लेकर आसमान रंग-बिरंगी रोशनी से नहा गया।
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