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जबलपुर। जिले के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में अनोखी पहल की गई है। जहां स्त्री और प्रसूति रोग विभाग में आने वाली गर्भवती महिलाओं को प्रसव के बाद पौधे भेंट किए जा रहे है। साथ ही पौधों की देखभाल करन के लिए भी उन्हें प्रेरित भी किया जा रहा है।
अध्यक्ष डॉ कविता एन. सिंह ने शुरु की मुहिम
स्त्री और प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ कविता एन. सिंह का कहना है कि उनके इस प्रयास की अब प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के दूसरे शहरों में भी चर्चा होने लगी है। उनके मुताबिक कई शहरों में भी इस तरह की पहल की जा रही है।
प्रकृति के संरक्षण का प्रयोग
दरअसल प्रकृति के संरक्षण के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल के स्त्री और प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ कविता एन. सिंह के मन में अचानक ही एक ख्याल आया और इस पर अमल करते हुए उन्होंने अपने खुद के संसाधनों से आंवले के पौधे मंगा लिए और रोजाना ही यहां डिलीवरी के बाद डिस्चार्ज होने वाली महिलाओं और उनके परिवार जनों को आंवले के पौधे भेंट किए जा रहे हैं।
पौधे भेंज करने के पीछे भावनात्मक पक्ष
इसके पीछे मकसद यह है कि प्रसव के बाद महिलाएं अपने बच्चों की बेहद अपनेपन के साथ देखभाल करती हैं। ऐसे में प्रसव के समय ही उन्हें पौधे देकर पौधों की भी बच्चों की तरह देखभाल करने के लिए प्रेरित किया जाए तो एक भावनात्मक लगाव बन जाता है।
डेढ़ माह जारी है ये प्रक्रिया
पिछले करीब डेढ़ माह से मेडिकल कॉलेज में प्रकिया जारी है। इसके लिए बकायदा एक सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है। महिलाओं और उनके परिजनों को पौधे भेंट करते हुए फोटो खींचकर उन्हें फोटो उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था की गई है।
इस पहल की दूसरों शहरों में भी चर्चा
डॉ कविता एन. सिंह का कहना है कि उनके इस प्रयास की अब प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के दूसरे शहरों में भी चर्चा होने लगी है और उनके पास लगातार इसकी सराहना के लिए फोन कॉल आ रहे हैं। उनके मुताबिक कई शहरों में तो इस प्रयोग पर अमल भी शुरू कर दिया गया है।
परिजनों को दिलाया पौधे बचाने का संकल्प
प्रसव के बाद डिस्चार्ज के समय आंवले के पौधे देने का फैसला आंवले के औषधीय गुणों को देखकर लिया गया है। अस्पताल में किए जा रहे इस नए प्रयोग को लेकर मेडिकल कॉलेज का स्टाफ भी काफी उत्साहित है।
जबलपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में हरियाली को बनाए रखने के लिए शुरू हुए इस प्रयोग की हर कोई सराहना कर रहा है। गर्भवती महिलाओं से लेकर उनके परिजन भी इस प्रयोग की तारीफ करते नहीं थकते हैं। यहां से मिलने वाले पौधों की बच्चों की तरह देखभाल करने का संकल्प भी ले रहे हैं।
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