हाइलाइट्स
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मेडिकल यूनिवर्सिटी में FD घोटाला
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बैंक में पड़े रहे 120 करोड़
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कमेटी से कराई जा रही जांच
Jabalpur News: मध्यप्रदेश की यूनिवर्सिटी में लगातार घोटाले हो रहे हैं। भोपाल की राजीव गांधी प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी (RGPV) घोटाले के बाद अब प्रदेश की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर में 120 करोड़ रुपए की FD में घोटाला सामने आया है।
आरोप है कि कुलपति डॉ. अशोक खंडेलवाल और रजिस्ट्रार डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल के साथ फाइनेंस कंट्रोलर रविशंकर डिकाटे ने यूनिवर्सिटी की 120 करोड़ रुपए की FDR को मैच्योर होने के बाद भी कम ब्याज पर बैंक में जमा करके रखा। इन्हें रिन्यू नहीं कराया गया। जिसकी वजह से मेडिकल यूनिवर्सिटी को 9 करोड़ रुपए के ब्याज का नुकसान उठाना पड़ा। बता दें कि मेडिकल यूनिवर्सिटी के पास परीक्षा शुल्क के 110 करोड़ और संबद्धता शुल्क के 60 करोड़ हैं।
जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी में FD घोटाला: बैंक में पड़े रहे 120 करोड़, नहीं की ब्याज की चिंता, जांच के आदेशhttps://t.co/t0ydQnIF7y#jabalpur #medicaluniversity #FDscam #scam #mpnews #madhyapradesh pic.twitter.com/7yLTJLvrEu
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) May 15, 2024
वहीं इस मामले में मुख्य सचिव वीरा राणा ACS को 15 दिनों में रिपोर्ट मांगने के लिए तलब किया है। आपको बता दें कि (Jabalpur News) मेडिकल यूनिवर्सिटी के ऑडिट में ये कहा गया है कि FDR को किसी भी सक्षम अधिकारी को प्रमाणित नहीं किया है।
इस पूरे मामले की जांच EOW से कराने के लिए कहा था, लेकिन अपने अधिकारों का उपयोग कर कुलपति ने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज सहित 3 अन्य लोगों की कमेटी बना दी है। मामले की जांच चल रही है।
वहीं, NSUI मेडिकल विंग के रवि परमार के मुताबिक, कि आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा टेंडरों में भी गड़बड़ियां की जा रहीं हैं। रिन्युअल टाइम पर नहीं कराया, करंट अकाउंट में जमा रखे करोड़ों रुपए FDR की मैच्योरिटी समय पर तारीख अनुसार रिन्यू नहीं कराया गया।
इसकी वजह से अगस्त 2022 में 30.96 करोड़, सितंबर 2022 में 9.11 करोड़, अक्टूबर 2022 में 34.54 करोड़, नवंबर 2022 में 26.83 करोड़, दिसंबर 2022 में 8.74 करोड़ और जनवरी 2023 में 10.81 करोड़ का नुकसान हुआ है। 8 स्कंध पंजी, डाक पंजी, मनी पासेज, स्टाम्प ड्यूटी के सत्यापन में भी कई कमियां पाई गई है।
जांच कर रही कमेटी
बता दें कि मामले की जांच हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की कमेटी से कराई जा रही है। जो भी FDR हैं, वो राष्ट्रीयकृत बैंकों में हैं। अब इसके बाद FDR रिन्यूअल समय पर न कराने की बात है तो कई बार अफसरों के ना होने या दूसरे कारणों से कार्रवाई नहीं हो पाई।
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