Jabalpur High Court: भोपाल और जबलपुर (Jabalpur High Court) निवासी छात्राओं द्वारा मध्यप्रदेश हाइकोर्ट में याचिकाएं दायर कर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (नीट-यूजी) के रिजल्ट को लेकर आपत्ति दर्ज कराई गई है। गुरुवार को यह मामला जबलपुर हाई कोर्ट के समक्ष लाया गया है। साथ ही जस्टिस अमरनाथ केसरवानी एवम जस्टिस बीके द्विवेदी की अवकाशकालीन खंडपीठ इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को करने के निर्देश दिए।
भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार के आरोप के जांच की मांग
साथ ही याचिकाकर्ताओं ने नीट-यूजी परीक्षा आयोजित कराने वाली संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के रिजल्ट को कोर्ट (Jabalpur High Court) में पेश किया है। बता दें कि टॉप-13 अभ्यर्थियों के रोल नंबर आसपास होने की वजह से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
आरोप लगाया गया है कि एक कोचिंग सेंटर के 8 छात्रों के नाम और रोल नंबर एक जैसे हैं। इसके अलावा उन बच्चों को सभी छात्रों को परीक्षा में पूरे अंक प्राप्त हुए हैं। इसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से यह मांग की गई है कि इसकी भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार के आरोप की जांच की जानी चाहिए।
छात्रों को गड़बड़ी की आशंका
जबलपुर के रहने वाली अमीषी वर्मा के अधिवक्ता आदित्य संघी और भोपाल रहने वाली निशिता सोनी के अधिवक्ता ब्रजेन्द्र मिश्रा ने कहा कि याचिकाकर्ता नीट यूजी परीक्षा 2024 में शामिल हुई थीं। लेकिन जैसे ही रिजल्ट घोषित किए गए, तो वे गड़बडी की आशंका के साथ कानूनी कार्रवाई के लिए आगे आ गईं। बता दें कि नीट यूजी परीक्षा 2024 में अमीषी को 720 अंक में से 615 अंक मिले थे। उन्हें व्यक्तिगत और विशेषज्ञों की गणना अनुसार ज्यादा नंबर मिलने की उम्मीद थी।
718 और 719 नंबर कैसे आ सकते हैं?
जबलपुर हाई कोर्ट (Jabalpur High Court) में दाखिल याचिका में कहा कि एग्जाम रिजल्ट में 67 छात्रों को 720 में से 720 अंक मिले हैं। जबकि एक ही कोचिंग संस्थान में 6 छात्रों को पूरे अंक और अन्य दो छात्रों को 718 और 719 नंबर मिले थे। उन सभी छात्रों के नाम और रोल नंबर में एक जैसे थे।
वहीं, गलत उत्तर देने पर 4 अंक काटे जाते हैं, तो सवाल यह उठता है कि 2 छात्रों को 718 और 719 नंबर किस आधार पर मिल सकते हैं। अलग उनका एक उत्तर गलत था तो उन्हें 4 नंबर काटकर 716 अंक मिलने चाहिए थे, जबकि सभी उत्तर सही होने पर उन्हें 720 अंक मिलने चाहिए थे।
इस याचिका में ये भी कहा कि एम्स का कट आफ माक्र्स 717 है। एक संस्थान के छात्रों को उपकृत करने के लिए परीक्षा में भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार किया गया है। साथ ही इस याचिका में मांग की गई है कि हाई कोर्ट की निगरानी में उच्च स्तरीय कमेटी से मामले की जांच कराई जाए और चयनित छात्रों को अस्थाई तौर पर दाखिला दिया जाए।
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