/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/jabalpurhc.webp)
Jabalpur High Court News: मध्यप्रदेश के नीजी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे में एडमिशन पर हाईकोर्ट ने लगी रोक हटा दी है। अब कॉलेजों में एनआरआई कोटे के तहत 15 फीसदी सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा। मंगलवार को जबलपुर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया।
अदालत ने कहा कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी एनआरआई कोटे की सीटों के आवंटन की याचिका को खारीज कर दिया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'एनआरआई कोटे के तहत शाखाओं का वर्गीकरण करना नियमों का उल्लंघन नहीं है।' याचिकाकर्ता ने नियमों को चुनौती नहीं दी है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि खाली सीटों के लिए काउंसलिंग की जाए।
बराबर लागू हो आरक्षण
डॉक्टर ओजस यादव की ओर से से याचिका दायर की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि आठ ब्रांच में एनआरआई कोटे का आवंटन किया गया है। आठ बैंकों में उपलब्ध सीटों की 15 फीसदी से अधिक सीट एनआरआई के लिए रिजवर्ड है। इससे अन्य स्टूडेंट्स के लिए सीटें कम हुई है। साथ ही आरक्षण नीति की अवज्ञा हुई है।
राज्य सरकार ने कहा
प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि एनआरआई कोटे का लक्ष्य प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की आर्थिक स्थिति को सुधारना है। सुप्रीम कोर्ट के पीए इनामदार केस के फैसला का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि 15 फीसदी सीटों का आवंटन विवेक पर आधारित है। इसे हाईकोर्ट ने मंजूर किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला इंदौर हाकोर्ट ने पलटा
सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा कि सिविल विवादों में समझौते के आधार पर पारित डिक्री को स्टाम्प शुल्क चुकाकर रजिस्टर्ड कराने की जरूरत नहीं है। अदालत ने इंदौर हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए यह आदेश दिया।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत समझौते को डिक्री माना गया है। इसे रजिस्टर्ड कराने का प्रावधान नहीं है। इस फैसले से तहसील कार्यालयों में नामांतरण और अन्य मामलों में लंबित केस में पक्षकार को राहत मिलेगी। कलेक्टर ऑफ स्टाम्प के ऑफिस में ऐसे प्रकरण भेजे जाते हैं, जहां पक्षकारों को स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करना पड़ता है।
यह भी पढ़ें-
/bansal-news/media/agency_attachments/2025/10/15/2025-10-15t102639676z-logo-bansal-640x480-sunil-shukla-2025-10-15-15-56-39.png)
Follow Us
चैनल से जुड़ें