Jabalpur High Court Decision: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट (जबलपुर) की डिवीजन बेंच ने रेप पीड़िताओं के गर्भपात को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। इस केस में इंदौर और जबलपुर बेंच की एकलपीठों द्वारा अलग-अलग दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, जिसके बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने स्वतः संज्ञान लेते हुए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने कहा, अगर पीड़िता का गर्भ 24 सप्ताह या उससे कम अवधि का है, तो संबंधित जिले की पॉक्सो कोर्ट में मामला पेश करना होगा। पॉक्सो कोर्ट तीन दिन में गर्भपात पर फैसला लेगी।
24 सप्ताह तक के गर्भ के लिए तत्काल फैसला
हाईकोर्ट ने कहा, अगर पीड़िता का गर्भ 24 सप्ताह या उससे कम अवधि का है, तो संबंधित जिले की पॉक्सो कोर्ट में मामला पेश करना होगा।
पॉक्सो कोर्ट तीन दिन में गर्भपात पर फैसला लेगी।
पीड़िता को बिना किसी आवेदन के मेडिकल बोर्ड भेजा जाएगा और परिजनों की अनुमति लेकर गर्भपात की प्रक्रिया करवाई जाएगी।
24 सप्ताह से अधिक के गर्भ पर HC की अनुमति अनिवार्य
- अगर गर्भ 24 सप्ताह से अधिक का है, तो जिला कोर्ट मामला हाईकोर्ट को भेजेगा।
- हाईकोर्ट स्वतः संज्ञान लेते हुए तेजी से मामले का निपटारा करेगी।
- मेडिकल विशेषज्ञों की राय के आधार पर अबॉर्शन की अनुमति दी जाएगी।
- डीएनए परीक्षण के लिए भ्रूण को सुरक्षित रखना अनिवार्य होगा।
कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर लिया फैसला
इस केस में जबलपुर और इंदौर बेंच की अलग-अलग गाइडलाइंस में विसंगति देखने को मिली थी। इस पर डिवीजन बेंच ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की और उप-महाधिवक्ता अभिजीत अवस्थी व शासकीय अधिवक्ता अनुभव जैन की दलीलों को सुनने के बाद नई एसओपी जारी की।
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DNA टेस्ट के लिए भ्रूण सुरक्षित रखना अनिवार्य
दोनों ही स्थितियों में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि DNA परीक्षण के लिए भ्रूण को सुरक्षित रखना जरूरी होगा, ताकि न्यायिक प्रक्रिया में इसका उपयोग किया जा सके।
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