इजरायल: जहां का प्रत्येक नागरिक सैनिक है, पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर दुश्मनों का करती हैं सफाया

इजरायल: जहां का प्रत्येक नागरिक सैनिक है, पुरुषों के साथ महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर दुश्मनों का करती हैं सफाया

Israel

नई दिल्ली। चारों तरफ दूश्मन देशों से घिरे होने के बावजूद इजरायल दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है। फिलिस्तीन में चल रहे खूनी संघर्ष के बीच इस बात को और बल मिल रहा है। क्योंकि कई देशों से मिल रही धमकियों के बीच इजराइल गाजा पट्टी पर बमबारी जारी रखे हुए है। इजराइल की बमबारी में गाजा में कम से कम 130 लोगों की मौत हो गई है जिनमें करीब 31 बच्चे और 20 महिलाएं भी शामिल हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर इजरायल इतना ताकतवर कैसे है।

1948 से पहले इजराइल कोई देश नहीं था

मालूम हो कि 14 मई 1948 से पहले इजराइल नाम का कोई देश नहीं था। जहां आज इजराइल है, वहां पहले फिलिस्तीन का कब्जा था। फिलिस्तीन में यहुदी भी रहते थे। इजराइल से पहले यहुदी विश्व के कई देशों में पाए जाते थे। लेकिन जर्मनी में हिटलर के शासन आने के बाद इनपर हमले होने लगे। इन्हें एक जगह पर इकट्ठा करके बंद कमरों में जगरीली गैस छोड़ दिया जाता था। ताकि दुनिया से एक-एक यहुदी खत्म हो जाए। हिटलर ने 6 साल में तकरीबन 60 लाख यहुदियों की हत्या करवा दी थी, जिनमें 15 लाख बच्चे भी शामिल थे। उस समय, इस समुदाय के लोग जिस भी देश में थे, मारे जाने लगे। फिलिस्तीनियों ने भी यहूदियों पर हमला किया। लेकिन यहां यहूदी एकजुट होकर लड़े और जीते। दुनिया भर से भागकर यहूदी फिलिस्तीन पहुंचे जहां उन्होंने एक नए राष्ट्र का संकल्प लिया। जिसका नाम इजरायल था।

युद्ध में पुरुष और महिला सैनिक एक साथ लड़ते हैं

इतने कम समय में इजरायल इतना मजबूत देश ऐसे ही नहीं बना। यहां पुरूष हो या महिलाएं दोनों कंधे से कंधा मिलाकर दुश्मन से लड़ते हैं। इजराइल में चाहे पुरूष हो या महिलाएं दोनों के लिए सैन्य सेवाएं अनिवार्य है। महिला और पुरूष सैनिकों को बराबर की ट्रेनिंग दी जाती है। ताकि वे किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें।
ये महिलाएं जितनी खूबसूरत दिखती हैं, उतनी ही बहादुर और मजबूत भी होती हैं। युद्ध के दौरान पुरूष सैनिकों के साथ ये कंधे से कंधा मिलाकर दुश्मनों का खात्मा करती हैं।

18+ सभी लोगों को सैन्य ट्रेनिंग लेनी पड़ती है

मालूम हो कि इजरायल में 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी स्वस्थ्य नागरिकों को अनिवार्य रूप से सैन्य सेवा करनी पड़ती है। पुरूषों के लिए सामान्यत: यह अवधि दो साल आठ महीने और महिलाओं के लिए दो साल की होती है। इसके साथ ही प्रशिक्षण हासिल करनेवाले हर शख्स को सेना की जरूरत के मुताबिक सेवा देने के लिए तैयार रहना होता है।

काफी अनोखा है इजरायल

इजरायल बाकी देशों की तुलना में काफी अनोखा है। यहां की आबादी महज 87 लाख है। इस देश के साथ ईश्वर ने भी इंसाफ नहीं किया है। देश का 75% हिस्सा रेगिस्तान में है लकन यहां एक गैलन तेल नहीं निकलता जबकि सीमा से लगे सभी देश मसलन सऊदी अरब, जॉर्डन, मिस्र, सीरिया में तेज के लबालब भंडार हैं। साथ ही यहां राजनीतिक अस्थिरता भी है। लेकिन जब बात देशहित, राष्ट्रीय सुरक्षा, सम्मान और स्वाभिमान की होती है। तो पक्ष हो या विपक्ष, सबकी आवाज हमेशा एक रही है।

इजराइल के लोगों में अनोखा जज्बा

इजरायल जब देश बना। तो यहां दुनिया के कोने-कोने से आकर यहूदी बसे। वे अपने साथ अलग-अलग जीवन शैली और भाषाएं लेकर आए। लेकिन इजरायल पहुंचने के बाद, सभी ने यहूदियों की प्राचीन भाषा हिब्रू को पुनर्जीवित किया। शुरूआत में कम ही लोग हिब्रू जानते थे। लेकिन सरकार ने हिब्रू सिखाने के लिए पंचवर्षीय भाषा अभियान चलाया। इसके तहत पूरे देश में जो भी शख्स हिब्रू जानता था, वह दिन में 11 बजे से 1 बजे तक अपने इलाके के स्कूल में जाकर हिब्रू पढ़ाता था। स्कूल में यह भाषा सीखनेवाले बच्चे रोजाना शाम को अपने माता-पिता और बाकी उम्रदराज लोगों को हिब्रू पढ़ाते थे। सरकार ने अगस्त 1948 से अगले पांच साल तक रोजाना हिब्रू की मूल और शुरुआती शिक्षा का ज्ञान रेडियो से प्रसारित करना शुरू किया। पांच साल खत्म होने तक पूरा देश हिब्रू सीख चुका था। जिस देश ने अपनी जड़ को जीवित रखने का ऐसा जज्बा दिखाकर एक मिसाल पेश की हो, उसे भला कौन पछाड़ सकता है?

पढ़ाई और स्वास्थ्य पर जोर

इजरायल की शिक्षा प्रणाली भी अनूठी है। चूंकि 18 साल का होने के बाद सभी को इजरायल सैन्य सेवा में शामिल होना अनिवार्य है इसलिए सारे पाठ्यक्रम इस तरह बनाए गए हैं कि पढ़ाई पूरी करते ही स्टूडेंट्स मिलिटरी में शामिल हो सकें। यहां 18 साल की उम्र तक पढ़ाई मुफ्त है। इजरायल की 8 यूनिवर्सिटियों में मेडिकल और विज्ञान की पढ़ाई पर खासा जोर है। प्राथमिक विद्यालय में किताबी पढ़ाई के साथ-साथ संगीत, कला, फैशन डिजाइनिंग और फिजिकल एजुकेशन की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। इजरायल में इस बात पर ज्यादा जोर रहता है कि छात्रों के रुझान को विकसित कर उसे लोकतंत्र, पर्यावरण संरक्षण, हिब्रू भाषा और शांति के मूल्यों में दक्ष बनाया जाए। इजरायल कभी भी दुनिया में अपनी रिसर्च का ढिंढोरा नहीं पीटता। वैसे दुनिया बिना कहे इस सच को जानती है कि यहां की सर्जरी और इलाज दुनिया में सबसे बेहतर है।

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