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नई दिल्ली। IPL यानी की इंडियन प्रीमियर लीग के नए सीजन के लिए आज चेन्नई में खिलाड़ियों की नीलामी शूरू हो गई है। इस बार लीग में आठ फ्रेंचाइजी टीमें होंगी। ये टीमें कुल 292 खिलाड़ियों पर बोली लगा रही हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि ये टीमें कैसे किसी खिलाड़ी पर बोली लगाती हैं। अगर नहीं पता तो चलिए आज हम बताते हैं कि कैसे नीलामी प्रक्रिया में क्रिकेटरों को खरीदा जाता है।
1100 खिलाड़ियों ने करवाया था रजिस्ट्रेशन
आईपीएल की वेबसाइट के अनुसार अगर हम देखे तो आईपीएल के 14वें सीजन की नीलामी के लिए करीब 1100 खिलाड़ियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था। लेकिन इनमें से कुल 292 खिलाड़ियों को निलामी के लिए सलेक्ट किया गया है। ऑक्शन में इन्हीं खिलाड़ियों पर फ्रेंचाइजी बोली लगाएंगे। इस बार के ऑक्शन के लिए 814 भारतीय और 283 विदेशी खिलाड़ियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था।
BCCI आयोजित करता है नीलामी
बतादे्ं कि आईपीएल के नीलामी को बीसीसीआई आयोजित करता है। हर 10 साल पर फुल नीलामी और इसके अलावा हर साल मिनी नीलामी होती है। इस साल मिनी नीलामी को आयोजित किया गया है। इसबार ऑक्शन के लिए सलेक्ट हुए 292 खिलाड़ियों में 164 भारतीय जबकी 125 विदेशी खिलाड़ी है। गौरतलब है कि एक टीम अधिकतम 25 खिलाड़ी अपने यहां रख सकती है। जिसमें 8 विदेशी क्रिकेटर हो सकते हैं। वहीं खेल के दौरान प्लेइंग इलेवन में 4 विदेशी खिलाड़ी ही खेल सकते हैं।
एसे होती है आईपीएल नीलामी
IPL में नीलाम होने से पहले हर खिलाड़ी अपना बेस प्राइस तय करता है। इसके आधार पर ही ऑक्शन में बोली लगाई जाती है। कोई भी टीम अगर किसी क्रिकेटर को खरीदना चाहती है तो उसे बेस प्राइस से अधिक बोली लगानी पड़ती है। हालांकि कई बार ऐसा भी होता है जब खिलाड़ी अपने बेस प्राइस पर बिकते हैं। वहीं किसी खिलाड़ी को एक ज्यादा फ्रेंचाइजी अपने यहां रखना चाहते हैं तो फिर बोली लगाई जाती है और जो टीम सबसे ज्यादा बोली लगाती है उसे वो प्लेयर मिल जाता है। वहीं अगर इस दौरान कोई खिलाड़ी बिकता नहीं है तो फिर उसे अनसोल्ड माना जाता है और अंत में सभी खिलाड़ियों की बोली लग जाने के बाद अनसोल्ड खिलाड़ियों को दोबारा से बोली लगाने के लिए पेश किया जाता है।
कैसे तय होता है बेस प्राइस?
बेस प्राइस खिलाड़ी ऐसे खुद ही तय करते हैं। लेकिन अधिकारिक तौर पर बीसीसीआई की जिम्मेदारी होती है बेस प्राइस तय करने की। वहीं बेस प्राइस कभी भी 10 लाख रूपये से नीचे नहीं होना चाहिए और न ही दो करोड़ रूपये से अधिक होना चाहिए। इसके अलावा एक फ्रेंचाइजी अपनी टीम बनाने के लिए 60 करोड़ रूपये से ज्यादा खर्च नहीं कर सकती है।