हाइलाइट्स
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एमपी में हुआ कमीशन के खेल का खुलासा
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निजी स्कूलों की होगी जांच, होगा एक्शन
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शिक्षा मंत्री ने जांच करने के दिए निर्देश
Chhattisgarh News: मध्य प्रदेश के जबलपुर की तर्ज पर अब छत्तीसगढ़ में भी स्कूल शिक्षा विभाग कार्रवाई करने वाला है।
इसको लेकर स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल (Education Minister) ने कार्रवाई के बड़े संकेत दिए हैं। वहीं उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल यदि नियमों, कानूनों का उल्लंघन करते हैं तो कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि मध्य प्रदेश के जबलपुर में कलेक्टर ने प्राइवेट स्कूलों में चल रहे कमीशन (Illegal Recovery From Private Schools) के खेल का पर्दाफाश किया है। इसके बाद से प्रदेश में हड़कंप मच गया है।
इसके बाद छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) के स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विभाग के अफसरों को दिशा-निर्देश दिए हैं।
जांच में साबित तो कार्रवाई
मध्य प्रदेश की तरह ही छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) में भी निजी स्कूल यदि नियमों और कानूनों का उल्लंघन करेंगे तो एक्शन होगा।
प्राइवेट स्कूलों ने यूनीफार्म, कॉपी-किताबों और खेल या कार्यक्रमों के लिए वसूली की गई है तो वे जांच के दायरे आ जाएंगे।
अग्रवाल ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों का कार्यक्रमों, पुस्तकों और ड्रेस के नाम पर राशि लिया जाना सही नहीं है। इस तरह से कमीशन और फिजूलखर्ची के लिए वसूली (Illegal Recovery From Private Schools) की जाना गलत है।
इसकी शिकायत होती है और पालकों पर जबरन दबाव बनाकर वसूली (Illegal Recovery From Private Schools) की गई और यह साबित होता है तो जांच के बाद सख्त एक्शन लिया जाएगा।
मध्य प्रदेश में हुआ खुलासा
छत्तीसगढ़ प्रदेश (Chhattisgarh News) में निजी स्कूलों के खिलाफ इस तरह की शिकायतें मिलती रहीं हैं। पेरेंट्स एसोसिएशन इस पर एक्शन की मांग करते रहे हैं।
लेकिन छत्तीसगढ़ में इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वहीं जबलपुर में निजी स्कूलों की मनमानी और बुक सेलर्स द्वारा अभिभावकों के साथ की जा रही लूट के बड़े रैकेट का जिला- प्रशासन ने भंडाफोड़ किया है।
जहां 7 लाख बच्चों से 240 करोड़ की अवैध वसूली का खुलासा किया है।
किताबों में नहीं आईएसबीएन नंबर
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने खुलासा किया कि स्कूलों में चलने वाली 90 प्रतिशत और कई मामलों में तो 100% किताबें तक फर्जी है।
जांच में पाया कि निजी स्कूलों (Chhattisgarh News) में चल रही किताबों पर जरुरी ISBN नंबर है ही नहीं। इन किताबों पर जो ISBN नंबर दर्ज किये गए हैं, वे सब फर्जी हैं।
आईएसबीएन एक अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्या है। ये 13 अंका का एक कोड है। जिसमें पुस्तक से संबंधित हर जानकारी जैसे प्रकाशक, विक्रेता, एमआरपी की जानकारी दर्ज होती है।
ISBN नंबर होने से पुस्तक का अधिकतम विक्रय मूल्य फिक्स हो जाता है। ऐसे में इसमें कमीशनखोरी की गुंजाइश नहीं रहती।
यही कारण है कि स्कूलों में चल रही अधिकांश पुस्तकें बिना या गलत ISBN नंबर के फर्जी चल रही हैं।
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कमीशन के लिए बच्चों पर बोझ
जबलपुर कलेक्टर की जांच (Chhattisgarh News) में सामने आया कि बच्चों के कंधो पर ये बोझ कमीशनखोरी के चक्कर में जानबूझकर डाला जा रहा है।
बच्चों का सुनहरा भविष्य दिखाकर पेरेंट्स को अतिरिक्त पुस्तकों को खरीदने के लिए कनवेंश किया जाता है। नतीजा बच्चों पर पढ़ाई के साथ साथ पुस्तकों का बोझ भी बढ़ रहा है।
इसी तरह की स्थिति छत्तीसगढ़ में भी है। जहां प्राइवेट स्कूल और दुकानदारों की मिलीभगत से कमीशनखोरी का गौरखधंधा तेजी से और खूब चल रहा है।
जहां दोनों जमकर कमा रहे हैं और पेरेंट्स की जेब ढीली कर रहे हैं।