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International Yoga Day 2021: योग के जनक माने जाने वाले महर्षि पतंजलि की कहानी

International Yoga Day 2021: योग के जनक माने जाने वाले महर्षि पतंजलि की कहानीInternational Yoga Day 2021: The story of Maharishi Patanjali, considered the father of yoga nkp

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Bansal Digital Desk
International Yoga Day 2021: योग के जनक माने जाने वाले महर्षि पतंजलि की कहानी

नई दिल्ली। दुनियाभर में आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। लोग आज योग से निरोग हो रहे हैं। भारत से शुरू हुआ योग आज पूरी दुनिया में पहुंच चुका है। कोरोना महामारी के इस दौर में लोगों के लिए योग भी बहुत फायदेमंद साबित हुआ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि योग के जनक कौन थे? बहुत कम ही लोग हैं जो योग के जनक महर्षि पतंजलि के बारे में जानते हैं। ऐसे आज हम आपको दुनिया के पहले योग गुरू माने जाने वाले महर्षि पतंजलि के बारे में बताएंगे, जिन्होंने योग के 196 सूत्रों को जमाकर इसे आम लोगों के लिए सहज बनाया।

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काशी के लोग उन्हें शेषनाग के अवतार मानते थे

महर्षि पतंजलि का जन्म उत्तरप्रदेश के गोंडा जिले में हुआ था। हालांकि आगे चलकर वे काशी में बस गए। योग के कारण काशी के लोग उन्हें शेषनाग के अवतार भी मानते थे। महर्षि पंतजलि को योग में दक्ष बनाया पाणिनी ने। पतंजली ने काशी में पाणिनी से शिक्षा ली थी और बाद में उन्होंने पाणिनि के अष्टाध्यायी पर अपनी टीका लिखी, जिसे महाभाष्य कहा गया। हालांकि कुछ लोग ऐसा नहीं मानते हैं, उनका मानना है कि पतंजलि और अष्टाध्यायी पर टीका लिखने वाले, दो अलग-अलग लोग थे। इस विषय पर आज भी बहस होती है।

ज्यादातर जानकार पतंजलि का समर्थन करते हैं

हालांकि ज्यादातर जानकारों का मानना है पतंजलि काफी प्रतिभाशाली थे और उन्होंने ही अष्टाध्यायी पर टीका लिखा था। साल 1914 में अंग्रेज इतिहासकार और लेखक जेम्स वुड ने भी इसी बात का समर्थन किया था। वहीं साल 1922 में संस्कृत के जानकार सुरेंद्रनाथ दासगुप्ता ने भी पतंजलि के योग शास्त्र और महाभाष्य की भाषा को मिलाते हुए यही तर्क दिया था कि दोनों ग्रंथ पतंजलि ने ही लिखे थे।

लोग उन्हें महाभाष्य से ज्यादा योग के लिए जानते हैं

अष्टाध्यायी पर टीका लिखने के अलावा लोग महर्षि पतंजलि को सबसे ज्यादा योग के लिए जानते हैं। उन्होंने योग सूत्र लिखा था, जिसमें कुल 196 योग मुद्राओं को सहेजा गया है। महर्षि पतंजलि के योग सूत्र से पहले भी भारत में योग था, लेकिन पतंजलि ने इसे धर्म और अंधविश्वास से बाहर निकाला और इसे सभी लोगों के लिए सुगम बनाया। पतंजलि ने योग और ध्यान को एक साथ जोड़ा ताकि शरीर के साथ मानसिक ताकत भी बढ़ सके।

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12वीं से 19वीं सदी तक योग गायब रहा

महर्षि पतंजलि की लिखी बातें भारतीय भाषाओं के साथ-साथ कई विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है। संभवत: इसे भारत के पहले ग्रंथों में माना जाता है, जिसका दूसरे देशों में भी अनुवाद हुआ है। यहां तक कि योग सूत्र का अनुवाद अरब देशों में भी हुआ है। हालांकि तेजी से लोकप्रिय होने के बाद एकाएक योग गायब हो गया और लगभग 700 सालों तक ये चलन से बाहर रहा। 12वीं से 19वीं सदी तक के लोग योग को नहीं जानते थे। लेकिन एक बार फिर से योग 19वीं सदी में लौटा और इस बार बड़ी तेजी से फैला। योग को दोबारा चलन में लाने का श्रेय स्वामी विवेकानंद को जाता है।

दुनिया आज 7वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही है

आज दुनिया 7वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही है। पहली बार इस दिन को इंटरनेशनल स्तर पर 21 जून 2015 में मनाया गया था। बतादें कि इस दिन को मनाने के लिए मोदी सरकार ने साल 2014 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा में योग दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया था। जिसे 193 देशों में से 175 देशों ने बगैर देर किए मान लिया था।

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