भोपाल। मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का रुतबा हासिल है। यहां जितने बाघ पाए जाते हैं उतने पूरे देश के किसी राज्य में नहीं मिलते आज अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस है। इस खास मौके पर हमारे इको सिस्टम में बाघों की क्या अहमियत है उसे लोगों को समझाया जा रहा है।
मप्र का सौभाग्य है कि यहां पहली बार बाघों की संख्या 700 पार पहुंचने जा रही है। यह एक बार फिर टाइगर स्टेट बनने जा रहा है। पिछली बार की गणना में मप्र में बाघों की आबादी 526 थी। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से जुड़े सूत्रों के मुताबिक- मप्र के बाद दूसरे स्थान पर उत्तराखंड आ सकता है। वहां बाघों की संख्या 500 तक पहुंच सकती है।
आज जारी होंगे बाघों के आकड़ें
वहीं पिछली बार 524 बाघ के साथ दूसरे स्थान पर रहा कर्नाटक तीसरे स्थान पर खिसक सकता है। मप्र के बांधवगढ़ और कान्हा सर्वाधिक बाघों वाले टाइगर रिजर्व में पहले और दूसरे स्थान पर आ सकते हैं। बता दें कि अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लैंडस्केप वाइज टाइगर सेंसस के आंकड़े जारी किए थे। तब सिर्फ टाइगर रिजर्व में कैमरा ट्रैप के आधार पर देशभर में टाइगर की न्यूनतम संख्या 3167 जारी की गई थी। अब इसमें बाहर के खुले जंगल के आंकड़ों को भी शामिल किया गया है।
विशेषज्ञों ने कही ये बात
वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार 700 से अधिक बाघों की संख्या की उम्मीद है। इसकी वजह डेढ़ साल से अधिक उम्र के शावकों को शामिल करना और कैमरा ट्रैप की संख्या बढ़ाना रही है।उम्मीद है संख्या वर्तमान से अधिक होगी कितनी इसके बारे में कुछ नहीं कह सकता। हमें भी लैंड स्केप गणना का इंतजार है।
टाइगर डे पर मप्र सरकार करेगी बड़ा आयोजन
टाइगर डे पर मप्र सरकार भी बड़ा आयोजन करने जा रही है। यह कार्यक्रम कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में होगा। जिसमें एसीएस वन जेएन कंसोटिया और पीसीसीएफ वन बल प्रमुख रमेश कुमार गुप्ता मौजूद रहेंगे। दोपहर 3 बजे होने वाले इस कार्यक्रम में बाघ पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी, लघु वृत्त चित्र टाइगर वारियर्स, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व विलेज रीलोकेशन का प्रदर्शन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पुरस्कार वितरण किया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस आज
साल 2010 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया गया था। तब तक दुनियाभर के जंगलों से 97 फीसदी बाघों का सफाया हो चुका था और सिर्फ 3 हजार बाघ ही बचे थे। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का मुख्य उद्देश्य बाघों को बचाना है ताकि हमारे जंगल सुरक्षित रहे। वहीं भारत में साल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई थी। तब भारत में सिर्फ 268 बाघ बचे थे। लेकिन आज इनकी संख्या 3 हजार से भी ज्यादा है।
बाघों से जुड़े रोचक तथ्य
बाघ की दहाड़ 3 किमी दूर तक सुनी जा सकती है।
हर बाघ के शरीर की धारियां दूसरे से अलग होती है।
युवा बाघ 65 किमी प्रति घंटे की तेजी से दौड़ सकता है।
बाघ अच्छे तैराक होते हैं और पेड़ों पर भी चढ़ सकते है।
जंगल में बाघ का औसत जीवन लगभग 11 वर्ष होता है।
दुनिया के 70% से अधिक बाघ भारत में ही पाए जाते हैं।
टाइगर स्टेट MP
मध्यप्रदेश में 6 टाइगर रिजर्व हैं।
यहां बाघों की संख्या 706 के आसपास है।
बांधवगढ़, कान्हा, पन्ना, पेंच, संजय और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व हैं।
50 साल पहले 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ शुरू किया गया था।
2022 की गणना के अनुसार भारत में बाघों की संख्या 3,167 है।
प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत के समय भारत में 268 बाघ थे।