Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य दुनिया भर में जाने माने प्रसिद्ध विद्वान, कूटनीतिज्ञ और रणनीतिकार माने जाते हैं। चाणक्य नीति उनके अनुभवों का संकलन है, जिसमें एक सफल और पूर्ण जीवन जीने के लिए बहुमूल्य सलाह शामिल है।
कई व्यक्तियों ने चाणक्य नीति का पालन करके बड़ी सफलता हासिल की है। इस संग्रह में, चाणक्य ने खुशी और समृद्ध करियर प्राप्त करने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है।
उन्होंने पांच गुणों की पहचान की जो एक व्यक्ति को बुद्धिमान बनाते हैं, जिनके बारे में अब हम जानेंगे।
इन्द्रियाणि च संयम्य बकवत् पण्डितो नरः।
देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत् ।।
बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को वश में करके समय के अनुरूप अपनी क्षमता को तौलकर बगुले के समान अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए।
प्रत्युत्थानं च युद्धं च संविभागं च बंधुषु।
स्वयमाक्रम्य भुक्तं च शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात् ।।
समय पर उठना, युद्ध के लिए सदा तैयार रहना, अपने बन्धुओं को उनका उचित हिस्सा देना और स्वयं आक्रमण करके भोजन करना मनुष्य को ये चार बातें मुर्गे से सीखनी चाहिए।
अर्थनाशं मनस्तापं गृहे दुश्चरितानि च।
वञ्चनं चाऽपमानं च मतिमान्न प्रकाशयेत् ।।
एक बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने धन के नष्ट होने को, मानसिक दुख को, घर के दोषों को, किसी व्यक्ति द्वारा ठगे जाने और अपना अपमान होने की बात किसी पर भी प्रकट न करे, किसी को भी न बताए ।
वित्तं देहि गुणान्वितेषु मतिमन्नान्यत्र देहि क्वचित् प्राप्तं वारिनिधेर्जलं घनमुखे माधुर्ययुक्तं सदा ।
जीवान्स्थावरजंगमांश्च भूमण्डलम् सकलान् संजीव्य भूयः पश्य तदेव कोटिगुणितं गच्छन्तमम्भोनिधिम् ।।
बुद्धिमान या अच्छे गुणों से युक्त मनुष्य को ही धन दो, गुणहीनों (Chanakya Niti) को धन मत दो। समुद्र का खारा पानी बादल के मीठे पानी से मिलकर मीठा हो जाता है और इस संसार में रहने वाले सभी जड़-चेतन, चर और अचर जीवों को जीवन देकर फिर समुद्र में मिल जाता है।
येषां न विद्या न तपो दानं न ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।
ते मर्त्यलोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ।।
जिन मनुष्यों के पास न विद्या है न ही जिन्होंने किसी प्रकार का तप किया है, जिनमें न दान देने की प्रवृत्ति है, न ज्ञान है, दया और नम्रता आदि भी नहीं है, गुण और धर्माचरण की भावना नहीं है, ऐसे मनुष्य पशु के रूप में इस संसार में विचरते हैं।