ऋषिकेश (उत्तराखंड), 26 दिसंबर (भाषा) गंगा की सहायक हेनवाल नदी को पुनर्जीवित करने के लिये जारी ‘स्प्रिंगशेड और एक्वीफर’ पद्धति पर आधारित समग्र पहल का असर दिख रहा है और इसके जलस्तर में सुधार हुआ है।
हेनवाल नदी टिहरी जिले के सुरकंडा देवी मंदिर के निकट से बहती है और ऋषिकेश के शिवपुरी क्षेत्र तक आती है जहां यह गंगा में मिलती है।
मंडल वन अधिकारी (डीएफओ) धर्म सिंह मीना ने शनिवार को बताया कि हेनवाल को पुनर्जीवित करने के प्रयास एक साल पहले नरेंद्र नागर वन मंडल द्वारा शुरू किये गये थे। 2018 में केंद्रीय जल बोर्ड की एक रिपोर्ट में सहायक नदियों से आने वाले जल में कमी को लेकर चिंता व्यक्त किये जाने के बाद यह पहल की गई थी।
नीति आयोग ने भी 2018 में एक रिपोर्ट में कहा था कि उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों में 50 प्रतिशत जल संसाधन सूख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नदी से बचाने के लिये पहला कदम, उनकी टीम ने सुरकंडा से बेमुंडा के बीच उसमें गिरने वाले 15 नालों और 40 झरनों की समीक्षा कर उठाया। उनके जलस्तर को स्प्रिंगशेड (वह स्थान जहां भूमिगत जल धरातल पर खुद निकलता है) और एक्वीफर (जमीन की सहत के नीचे चट्टानों की एक ऐसी सतह जहां भूजल एकत्रित होता है) पद्धति का उपयोग कर बढ़ाने के प्रयास किये गए, आसपास के जंगलों में कई जगहों पर चकबांध बनाए गए और करीब 100 एकड़ वन क्षेत्र में फिर से वनरोपण किया गया।
मीना के अनुसार, हेनवाल नदी सरकुंडा से बेमुंडा के करीब 16,500 हेक्टेयर में फैली है। मीना ने कहा कि हेनवाल को पुनर्जीवित करने की योजना 11 करोड़ रुपये की थी और विभाग के लिये यह करना मुश्किल था।
उन्होंने कहा कि अन्य कम महत्वपूर्ण परियोजनाओं से धन बचाया गया और उसे नदी को पुनर्जीवित करने पर खर्च किया गया।
मीना ने कहा कि एकीकृत प्रयासों का असर रंग लाया और नदी की, पानी छोड़ने की क्षमता 35 लीटर प्रति मिनट से बढ़कर 40 लीटर प्रति मिनट हो गई है।
भाषा
प्रशांत मनीषा
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