Indore Traffic Smart Parking: इंदौर में ट्रैफिक जाम की समस्या से जनता परेशान है वहीं करोड़ों की लागत से बनी स्मार्ट पार्किंग धूल फाक रही है।ट्रैफिक की समस्या को हल करने के लिए करोड़ों रुपये की लागत से स्मार्ट पार्किंग सिस्टम विकसित किया गया था। प्रशासन ने शहर के विभिन्न हिस्सों में इन पार्किंग सुविधाओं को शुरू किया था, लेकिन अब इनमें से केवल एक-दो ही काम कर रही हैं, जबकि बाकी पार्किंग स्थल निष्क्रिय पड़े हैं और जनता को इनका कोई लाभ नहीं मिल रहा। लोग अब भी अपनी गाड़ियां सड़कों पर खड़ी कर देते हैं, जिससे ट्रैफिक जाम की समस्या और बढ़ जाती है। शहर के व्यस्त क्षेत्रों में कारें, स्कूटी और ऑटो सड़क किनारे खड़ी होती हैं। वहीं, इन स्मार्ट पार्किंग के पास बने कंट्रोल सेंटर अब कबाड़ के ढेर में बदल चुके हैं।
देखरेख के लिए नहीं मौजूद हैं कर्मचारी
स्मार्ट पार्किंग के कंट्रोल सेंटर में जहां एक कर्मचारी के मौजूद रहने की उम्मीद थी, वहां अब कोई भी कर्मचारी दिखाई नहीं देता। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन पार्किंग सुविधाओं का संचालन कभी शुरू ही नहीं हुआ था। ये पूरी तरह से निष्क्रिय पड़ी हैं। स्थिति यह हो गई है कि कुछ लोग इन कंट्रोल सेंटरों को अपने ठिकाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, और वहां किसी भी प्रकार का रखरखाव या निगरानी नहीं की जा रही है। पार्किंग की देखरेख के लिए जरूरी कर्मचारी न होने की वजह से इन केंद्रों की हालत खस्ता हो गई है, और कोई भी ध्यान रखने वाला नहीं है।
पार्किंग की स्थिति खराब
गाड़ियों की पार्किंग की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। स्मार्ट पार्किंग के आसपास खड़ी गाड़ियों के लिए न तो कोई रसीद काटी जाती है और न ही उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी दी जाती है। नागरिकों का कहना है कि इन पार्किंग सिस्टम का कोई खास फायदा नहीं हो रहा, और यह पूरी व्यवस्था बेकार साबित हो रही है। लोग अब सरकार और प्रशासन से यह सवाल कर रहे हैं कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद पार्किंग व्यवस्था में सुधार क्यों नहीं हो सका। अब यह जरूरी हो गया है कि इन स्मार्ट पार्किंग को शीघ्र चालू किया जाए, ताकि ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जा सके और शहर की यातायात व्यवस्था में सुधार हो सके।
स्मार्ट पार्किंग में गिनती की पार्किंग चालू
स्मार्ट पार्किंग सिस्टम को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य इंदौर शहर में बढ़ती ट्रैफिक जाम की समस्या को हल करना था, लेकिन वर्तमान स्थिति में यह पूरी तरह से अप्रभावी साबित हो रहा है। करोड़ों रुपये की लागत से स्थापित किए गए ये पार्किंग सिस्टम अब अधिकांश जगहों पर बेकार पड़े हुए हैं और उनका रखरखाव न के बराबर है। केवल कुछ गिनती की पार्किंग ही चालू हैं, जबकि बाकी की पार्किंग पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुकी हैं और उनमें कोई कामकाजी गतिविधि नहीं दिखती। इसका परिणाम यह हुआ है कि ट्रैफिक की समस्या पहले की तरह बनी हुई है और कहीं भी इसका समाधान नजर नहीं आ रहा।
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