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एक कलाकार की अनूठी पहल, 100 हिट फिल्मों के बना रहे पोस्टर्स, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराएंगे नाम

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News Bansal
एक कलाकार की अनूठी पहल, 100 हिट फिल्मों के बना रहे पोस्टर्स, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराएंगे नाम

इंदौर: एमएफ हुसैन और विष्णु चिंचालकर जैसे महान कलाकारों की कर्मभूमि इंदौर में एक चित्रकार ऐसा भी है जो हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर को संजोने में जुटा है। डिजिटल इमेजेस के इस दौर में यह आर्टिस्ट 50 साल पुरानी फिल्मों के पोस्टर बना चुके हैं और इन्हें देखकर सिंगल स्क्रीन सिनेमा का सुनहरा दौर भी अनायास ही याद आ जाता है।

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ससुराल, यहूदी, आन, गीत और गाइड ऐसे ना जाने कितने पोस्टर्स हैं जो हमें हिंदी सिनेमा के उस सुनहरे दौर की याद दिलाते हैं। जब ये पोस्टर्स ही फिल्मों की जान हुआ करते थे। फिल्म से ज्यादा पोस्टर देखने के लिए लोग बेताब रहते थे। बेशक ये पोस्टर्स पुरानी बातें हो गई हैं, लेकिन इंदौर में रहने वाले कलाकार पुरुषोत्तम सोलंकी एक बार फिर लोगों को इस नायाब कलाकारी और उसे सुनहरे दौर से रूबरू कराने की कोशिश में जुट गए हैं।

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आंखों में पुराने दौर की तस्वीर संजोएं इंदौर के पुरुषोत्तम सोलंकी अपनी कला से पुराने दौर को एक बार फिर कैनवास पर उतारने में जुटे हैं। आर्टिस्ट पुरुषोत्तम सोलंकी ने 50 साल पुरानी फिल्में गाइड, अनाकरली, मेरा नाम जोकर, मधुमति,आवारा जैसी 100 हिट फिल्मों के पोस्टर बनाने का काम शुरू किया है। 50 पोस्टर्स तैयार हो चुके हैं और साल 2023 तक ये काम पूरा होगा और उस वक्त गिनीज ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भी दावा पेश करेंगे।

बंसल न्यूज से बात करते हुए पुरुषोत्तम सोनी उस वक्त की यादों में भी खो गए। जब उनका सफर सिनेमा के पोस्टर्स के साथ शुरु हुआ था। बात 1969 की है, जब वो जयपुर पहुंचे और अपने चाचा के साथ फिल्मों के पोस्टर्स बनाने में जुट गए।

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जयपुर से शुरु हुआ सफर इंदौर तक जारी रहा। जयपुर में करीब 12 साल काम किया। पुरूषोत्तम सोलंकी बताते हैं कि उस दौर में उनकी चित्रकारी की राजेंद्र कुमार, फिरोज खान, साधना धर्मेंद्र और हेमा मालिनी जैसे कलाकार भी तारीफ कर चुके हैं। जयपुर में ही रामानंद सागर के बेटे मोती सागर ने भी उनकी पीठ थपथपाई थी। पुरुषोत्तम को जानने वाले उनकी कला का लोहा मानते हैं। वहीं कुछ लोग हैं जो इस नायाब कला को उनसे सीख भी रहे हैं।

बेशक हिंदी सिनेमा का वो सुनहरा दौर लौट के तो नहीं आ सकता, लेकिन उस दौर को महसूस करने वाला कलाकार उन सुनहरी यादों को सहेजने में जुटा है। ताकि उनके ना रहने के बाद भी यादे हमेशा बनी रहें।

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