देपालपुर। एक कहावत है बिन पानी सब सून यह कहावत अब मालवा क्षेत्र के किसानों की स्थिति बयां कर रही है। बारिश नहीं होने के कारण मालवा का प्रसिद्ध सोना यानी सोयाबीन इस बार बिन पानी के सूख रहा है। इस बार की सोयाबीन की फसल में आए दाने की फल्ली बिना बढ़े ही सूखने लगी है। वजह स्पष्ट है पानी की कमी। बारिश पर लगे ब्रेक से अब खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें नजर आने लगी हैं।
किसानों के माथे पर चितां की लकीरें
किसानों के माथे पर चितां की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। पर्याप्त बारिश न होने की वजह से किसानों को फसलों में बड़े पैमाने पर नुकसान की भी आशंका है। कई किसानों ने तो अपने खेतों में खड़ी फसल को ट्रेक्टर चलवाकर नष्ट करवा दिया है। किसानों की ओर से कहा गया है कि पानी नहीं गिरने से फसल की पैदावार कम होती और इसकी कटाई वगैरह करवाने में लागात बढ़ जाती है। इसलिए हमने खेत में ही फसल को नष्ट करा दिया।
किसानों ने की सरकार से ये मांग
वहीं किसानों का कहना है कि सरकार से हमें अनुदान व सहायता नहीं चाहिए हमने जो हमारी फसल का जो बीमा करवाया है उसका लाभ हमें मिल जाए वही बहुत है। साथ ही सरकार सूखे की वजह से बर्बाद हुई फसल के कारण समस्त क्षेत्र को आपदा ग्रस्त घोषित करें। वहीं सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमे क्षेत्रीय विधायक विशाल पटेल प्रदेश के मुखिया से बीमा कम्पनी को आदेश देने की मांग करते हुए नजर आ रहे हैं कि बीमा कम्पनी सर्वे कर किसानों को सहायता करें।
किसानों ने की थी दोबारा बुवाई
बता दें कि जून माह में ज्यादा बारिश होने से किसानों को मंहगे बीज खरीद कर दोबारा बुवाई करना पड़ी थी। अब जब फसल पकने पर आई है तो बारिश की कमी के चलते फसल सूखने लगी है। वैसे तो मालवा में औसत बारिश 35 से 40 इंच होती है और बारिश का ये आंकड़ा तो इस बार जुलाई माह में ही पूरा हो गया था। फिर इसके बाद से फिलहाल बारिश पर महीने भर से ब्रेक लगा हुआ है।
किसानों को सिंचाई के लिए मिला पानी
नर्मदापुरम। माखन नगर के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलने लगा है। बारिश नहीं होने के कारण किसानों की धान की फसल सूखने लगी थी। किसानों ने क्षेत्रीय विधायक विजयपाल सिंह को अपनी समस्या बताई। उन्होंने इस संबंध में जल संसाधन विभाग के मंत्री और कलेक्टर नर्मदापुरम से चर्चा की। और तवा डैम से पानी छोड़ने का आग्रह किया। जिसके बाद तवा डैम के बाएं तट में 1 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। विधायक विजयपाल सिंह ने खुद तवा डैम के गेट खोले। जिसका पानी नहरों से होता हुआ किसानों के खेतों तक पहुंचा।
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