इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में पीएमटी फर्जीवाड़े के मामले में इंदौर की विशेष अदालत ने एक फर्जी परीक्षार्थी (सॉल्वर) को सोमवार को सात साल के सश्रम कारावास और 10,000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। अभियोजन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि व्यापमं घोटाले के मामलों के लिए गठित विशेष अदालत के न्यायाधीश संजय कुमार गुप्ता ने विनय कुमार (42) को भारतीय दंड विधान और मध्यप्रदेश मान्यताप्राप्त परीक्षा अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत मुजरिम करार देते हुए सजा सुनाई। बिहार की राजधानी पटना का रहने वाला कुमार तत्कालीन व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के वर्ष 2004 के दौरान आयोजित प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में खंडवा के एक परीक्षा केंद्र में शिशुपाल यादव के स्थान पर शामिल हुआ था।
विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा,‘मुजरिम ने पीएमटी में स्वयं को अन्य उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत कर छल किया है। इससे इस सम्पूर्ण परीक्षा के संबंध में समाज में प्रतिकूल धारणा बनती है तथा इसमें अयोग्य व्यक्ति के चयन से पूरा सामाजिक ताना-बाना प्रभावित होता है।’ अदालत ने पीएमटी फर्जीवाड़े के संबंध में चिंता जताते हुए फैसले में यह टिप्पणी भी की कि चिकित्सा पाठ्यक्रम में अयोग्य व्यक्तियों के चयन के बाद भविष्य में ऐसे लोगों के चिकित्सक बन जाने से समाज में जनता के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर प्रश्न उत्पन्न होंगे।
बता दें कि वर्ष 2013 में सामने आया यह घोटाला सैकड़ों उम्मीदवारों के गैरकानूनी प्रवेश से जुड़ा है। उच्चतम न्यायालय के वर्ष 2015 में दिए गए आदेश के तहत व्यापमं घोटाले से जुड़े मामलों की जांच मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा सीबीआई को सौंप दी गई थी।