हाइलाइट्स
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इंदौर नगर निगम के रिमूवल गैंग से वापस ली गई आर्मी जैसी ड्रेस
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रिमूवल गैंग को आर्मी जैसी ड्रेस पहनाने का विपक्ष ने किया था विरोध
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कांग्रेस ने जनमत संग्रह कराने की दी थी चेतावनी, मेयर ने फैसला बदला
Indore Municipal Corporation: इंदौर नगर निगम को अपना वह फैसला वापस लेना पड़ा, जिसमें रिमूवल गैंग को बुधवार को आर्मी के जैसी दिखने वाली ड्रेस दी गई थी।
इसे लेकर निगम के अफसरों और मेयर को विपक्ष सहित जनता के विरोध का सामना करना पड़ा (Indore Municipal Corporation) था।
यहां बता दें निगम ने बुधवार को ही रिमूवल गैंग के 200 से ज्यादा कर्मचारियों को यह ड्रेस दी थी।
और बताया गया था इसका मकसद अतिक्रमण कार्रवाई के दौरान होने वाले विवाद से बचना था।
वहीं कांग्रेस ने इस मामले (Indore Municipal Corporation) में जनमत संग्रह करने की चेतावनी भी दी थी दर्शन नगर निगम महापौर पुष्यमित्र भार्गव नहीं चाहते कि बैठे-बैठे कांग्रेस को हाथों में मुद्दा दे दिया जाए
इसलिए इस फैसले को फिलहाल वापस लिया गया है।
नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने क्या कहा?
इंदौर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने कहा है कि कांग्रेस द्वारा दी गई चेतावनी के परिणाम स्वरुप इंदौर नगर निगम(Indore Municipal Corporation) बैक फुट पर आ गया।
निगम आयुक्त के द्वारा आज रिमूवल गैंग से मिलिट्री जैसी दिखने वाली ड्रेस वापस ले ली गई है।
चौकसे ने कहा कि कल ( बुधवार ) ही हमने यह कह दिया था कि इस तरह की ड्रेस निगम की रिमूवल गैंग को पहनाना मिलिट्री का अपमान है।
इसके साथ ही हमने यह भी घोषणा कर दी थी कि यदि 7 दिन में यह ड्रेस वापस नहीं ली जाएगी तो राजवाड़ा पर बड़ा प्रदर्शन कर जनता को साथ में लेकर आंदोलन शुरू किया जाएगा।
इसके साथ ही कांग्रेस के द्वारा इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने के लिए भी विधि विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही थी।
इसी बीच आज नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा के द्वारा रिमूवल गैंग से मिलिट्री जैसी दिखने वाली यह ड्रेस वापस बुला ली गई है।
अब रिमूवल गैंग के कर्मचारियों से कहा गया है कि आपको दूसरी नई ड्रेस दी जाएगी।
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आयुक्त के खाते से हो ड्रेस के खर्च की वसूली- चौकसे
नेता प्रतिपक्ष चौकसे ने कहा कि निगम (Indore Municipal Corporation) की रिमूवल गैंग के कर्मचारियों को मिलिट्री जैसी ड्रेस पहनने का फैसला ही प्राथमिक रूप से गलत था।
इस गलत फैसले को लेकर 600 जोड़े कपड़े बनवाए गए।
इन कपड़ों को खरीदने पर जो पैसा लगा है उस पैसे को नगर निगम आयुक्त के निजी खाते से लिया जाना चाहिए।
आयुक्त की इस गलती का खर्च नगर निगम के खजाने पर नहीं डाला जाना चाहिए।