Indore News: इंदौर में मेडिक्लेम को लेकर एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। बीमा कंपनी Indore News ने ये कहकर पैसा देने से इंकार कर दिया कि हॉस्पिटल ज्यादा पैसा वसूल रहा है। इसके बाद बीमा कंपनी ने एक ऐसी शर्त भी गिना दी, जिसे जानने के बाद मौजूद सभी लोग हैरान रह गए।
जिसके बाद फरियादी ने उपभोक्ता आयोग में इसकी शिकायत की और बीमा कंपनी Indore News की इस अजीब तर्क वाली शर्त को खारिज कर दिया। दरअसल फरियादी ने कोराना काल के इलाज के लिए बीमा कंपनी में क्लैम किया था। जिसपर कंपनी ने पैसे देने से मना कर दिया था।
क्या था मामला
दरअसल कोरोना काल के समय इंदौर में मूसाखेड़ी क रहने वाले खेमचंद जाटव ने 24 दिसंबर 2020 से 23 दिसंबर 2021 के लिए बीमा पॉलिसी खरीदी थी। फरियादी ने यह पॉलिसी स्टार हेल्थ एंड एलाईड इंश्योरेंस कंपनी से ली।
वहीं, अप्रैल 2021 में फरियादी खेमचंद को कोरोना हो गया था। जिसके बाद इंदौर में उन्हें बेड नहीं मिला, तो वह इलाज के लिए उज्जैन के पास बड़नगर के अशोक हॉस्पिटल में भर्ती हो गए।
उनके इलाज के दौरान पूरा खर्च 70 हजार 807 रुपये बना था। इसमें अस्पताल का बिल, दवाइयां और जांच का खर्च शामिल था।
ठीक होने के करीब दो महीने बाद खेमचंद ने 11 जून 2021 को बीमा कंपनी में पेमेंट के लिए क्लेम किया। फरियादी ने बीमा कंपनी से सभी कागजात लगाकर क्लेम मांगा, मगर 6 जुलाई 2021 को बीमा कंपनी से 70 हजार 807 रुपये की बजाय महज 22 हजार 500 रुपये का भुगतान फरियादी को किया।
कम क्लेम पास होने पर उन्होंने बीमा कंपनी से पूछा, लेकिन उन्होंने इसका कोई ठोस कारण नहीं बताया। फिर 8 जुलाई 2021 को खेमचंद ने बीमा कंपनी के मैनेजर को चिट्टी के जरिए बाकी का पैसा मांगा, लेकिन इसपर मैनेजर की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। जबकि 19 जुलाई 2021 को लीगल नोटिस भेजने के बावजूद बीमा कंपनी ने इसपर को रिएक्ट नहीं किया।
आखिरी में तंग आकर खेमचंद को उपभोक्ता आयोग का दरवादा खटखटाना पड़ा और केस लगाकर 48,307 रुपये, बकाया के अलावा 70 हजार रुपये मानसिक औऱ आर्थिक कष्ट, 10 हजार रुपये केस खर्च दिलाने की मांग की। इसमें शिकायतकर्ता ने संभागीय प्रबंधक और प्रबंध निर्देशक को पार्टी बनाया था।
बीमा कंपनी ने दी ये दलील
1. खेमचंद ने फैमली हेल्थ ऑप्टिमा इंश्योरेंस पॉलिसी 18 दिसंबर 2018 से 17 दिसंबर 2019 तक के लिए ली थी। जिसमें बीमा कंपनी 10 लाख रुपये तक का खर्च कवर कर रही थी।
इसके बाद 18 दिसंबर 2019 से 17 दिसंबर 2020 तक के लिए इंश्योरेंस फरियादी की तरफ से फिर रेन्यू करवाया गया था। तब 5 लाख रुपये तक का था। इसके बाद 24 दिसंबर 2020 से 23 दिसंबर 2021 तक एक बार फिर इंश्योरेंस रेन्यू करवाया गया था, लेकिन 17 दिसंबर से 24 दिसंबर के बीच हुए 7 दिन का गेप गो गया था।
बीमा कंपनी ने कहा कि फरियादी की पॉलिसी कुछ विशेष शर्तों और नियमों पर जारी की गई थी। ऐसे में बीमा कंपनी पॉलिसी धारक इनकी शर्तें मानने के लिए प्रतिबंध हैं।
2. इसके बाद बीमा कंपनी ने उपभोक्ता आयोग में दूसरा तर्क दिया कि कंपनी ने 22 हजार 500 रुपये का भुगतान पॉलिसी धारक को कर दिया है।
जबकि 48 हजार 307 रुपये काट लिए गए हैं क्योंकि इलाज का पैकेज चार्ज में 7 हजार 500 रुपये डेली के हिसाब से 3 दिन के 22500 रुपये दे दिए गए हैं।
बीमा कंपनी ने जो पैसे फरियादी को दिए हैं वह इलाज खर्च के लिए पर्याप्त होते हैं, जिसका भुगतान हमारी तरफ से किया जा चुका है।
3. वहीं तीसरे तर्क मे बीमा कंपनी ने बताया कि हॉस्पिटल की तरफ से ड्यूटी डॉक्टर चार्ज 10,000, सर्विस चार्ज 8,000, विजिटिंग डॉक्टर चार्ज 15,000 के नाम पर बेमतलब का वसूला गया है।
जिसके बाद हॉस्पिटल के खिलाफ इसपर कार्यवाही होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसके लिए बीमा कंपनी जवाबदार नहीं हैं। इस केस को निरस्त कर दिया जाए।
बीमा कंपनी के लिए इस तर्क को सुनने के बाद सभी लोग काफी हैरान थे। जबकि आयोग ने बीमा कंपनी की इनमें से एक भी दलील को नहीं माना।
उपभोक्ता आयोग ने दिया ये आदेश
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद उपभोक्ता आयोग ने खेमचंद के पक्ष में आदेश सुनाते हुए कहा कि बचा हुआ 48,307 रुपये डिस्चार्ज डेट से लेकर अब तक 7 प्रतिशत ब्याज दर से फरियादी को देना होगा।
साथ ही बीमा कंपनी को 10 हजार रुपये आर्थिक स्थिति और 5 हजार रुपये केस खर्च के देने के आदेश दिए। साथ ही उपभोक्ता आयोग ने फरियादी को यह भी सलाह दी थी कि उन्हें हॉस्पिटल के खिलाफ भी कार्यवाही करनी चाहिए थी।
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