Indore Abortion Case: इंदौर में पति-पत्नी के बीच चल रहे विवाद का अंजाम महिला के कोख में पल रहे बच्चे ने भुगता, जिसने इस दुनिया में कदम तक नहीं रखा था। दरअसल, युवती ने युवक से प्रेम विवाह किया था। शादी के कुछ दिनों तक सबकुछ अच्छा रहा, लेकिन फिर दोनों के बीच झगड़े होने लगे। इस दौरान महिला प्रेगनेंट हो गई। पत्नी ने आरोप है कि पति से प्रताड़ित है। वह उसके बच्चे की मां नहीं बनना चाहती है।
हाईकोर्ट में हुई काउंसिलिंग, महिला नहीं मानी
महिला को पति से इतनी नफरत हो गई कि उसने हाईकोर्ट से अनुमति लेकर अबॉर्शन करवाया है। गर्भपात के साथ इस विवाह का दुखद अंत हो गया। बताया जा रहा है कि शादी के बाद दोनों के बीच मनमुटाव बढ़ने लगा था।
इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट से अबॉर्शन की अनुमति मांगी। पत्नी का कहना है कि पति बहुत क्रूर है। वह उसके बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती है। हालांकि इससे पहले दोनों की काउंसलिंग की गई, लेकिन दोनों तैयार नहीं हुए।
परिवार के मर्जी के खिलाफ प्रेम विवाह किया
युवक और युवती ने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर पिछले साल लव मैरिज की थी। शुरुआती कुछ महीनों में दोनों के बीच खूब प्यार रहा। फिर छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई होने लगी। महिला ने पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा का आरोप लगाया है। दोनों मामले कोर्ट में चल रहे हैं।
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18 सप्ताह की गर्भवती थी महिला
महिला ने कहा कि पति दहेज की मांग करता है। उसका परिवार की स्थिति ऐसी नहीं कि पति के हर मांग को पूरा कर सके। दोनों के परिजनों ने उन्हें समझाया, लेकिन वे साथ नहीं रहने के जिद पर अड़ गए। 18 सप्ताह की गर्भवती महिला ने सीनियर एडवोकेट ऋषि आनंद चौकसे के जरिए अदालत में अबॉर्शन की अनुमति मांगी।
सुलह के हर प्रयास हुए फेल
- मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने एक महिला वकील को काउंसलर नियुक्त किया।
- काउंसलर ने दोनों को समझाया लेकिन इसका हल नहीं निकला।
- हाईकोर्ट ने लगातार दो दिन तक दोनों के बीच मध्यस्थता कराने की कोशिश की, लेकिन दोनों जिद पर अड़े रहे।
- महिला और उसके अभिभावक को भी समझाया गया कि बात रिलेशन के साथ गर्भस्थ शिशु की है।
- महिला ने कहा कि अगर बच्चा दुनिया में आया तो उसे दूसरे रिश्ते में परेशानी होगी।
हाईकोर्ट ने अबॉर्शन की अनुमति दी
हाईकोर्ट ने महिला की चिकित्सक रिपोर्ट मंगवाई। रिपोर्ट में बताया गया कि महिला 18 सप्ताह की गर्भवती है और अबॉर्शन के लिए स्वस्थ है। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसले का हवाला देते हुए महिला को अबॉर्शन की इजाजत दी। इसके बाद एमवाय अस्पताल में महिला का गर्भपात करवाया गया।
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