Indore Hingot: इंदौर में फेमस हिंगोट युद्ध हुआ। गौतमपुरा और रुणजी दलों के योद्धाओं ने एक-दूसरे पर अग्निबाणों की तरह हिंगोट से हमला किया। इस दौरान कलंगी और तुर्रा दल के योद्धाओं ने एक-दूसरे पर आग के गोले बरसाए। युद्ध में दोनों दलों के 15 से ज्यादा योद्धा घायल हुए हैं, जिन्हें प्रशासन ने हॉस्पिटल भेजा है। इस आयोजन को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। हिंगोट युद्ध अंधेरा होने तक चला। इसके बाद युद्ध समाप्त हो गया।
इंदौर में शौर्य और साहस का प्रदर्शन
दिवाली के दूसरे दिन होने वाले विश्व प्रसिद्ध हिंगोट युद्ध के लिए प्रशासन भी पहले से मुस्तैद था। सालों पुरानी परंपरा निभाने के लिए इस बार भी गौतमपुरा के दोनों दलों के योद्धाओं ने कड़ी तैयारी की। आमने-सामने आने से पहले शस्त्रों की तरह इस्तेमाल होने वाले हिंगोट का ढेर लगाया गया। इसके बाद तुर्रा और कलंगी दल ने अपने शौर्य और साहस का प्रदर्शन दिखाया। दोनों दलों की ओर से एक-दूसरे पर जलती हुई हिंगोट फेंकी गई।
200 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात
बरसों पुरानी इस परंपरा की व्यवस्थाओं के लिए प्रशासन ने भी पूरी तैयारी कर रखी थी। हिंगोट देखने आए दर्शकों और युद्ध में घायल होने वाले योद्धाओं के लिए 200 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात थे। इसके अलावा यहां एंबुलेंस और डॉक्टरों की टीम भी मौजूद थी।
ये खबर भी पढ़ें: शेयर बाजार मुहूर्त ट्रेडिंग: सेंसेक्स 335 अंक की बढ़त के साथ 79 हजार 724 पर बंद, निफ्टी भी करीब 100 अंक चढ़ा
इस वजह से हुई थी हिंगोट युद्ध की शुरुआत
आपको बता दें कि हिंगोट युद्ध की ये परंपरा मुगलकालीन है। मुगलों के आक्रमण से बचने के लिए हिंगोट चलाए जाते थे। चंबल नदी की घाटियों से जब मुगल आक्रमण करते थे तब हिंगोट चलाकर उन्हें घोड़े से गिरा दिया जाता था। इससे मुगलों का हमला नाकामयाब हो जाता था। हिंगोरिया फल और अरंडी की लकड़ी के कोयले से हिंगोट को बनाया जाता था। हिंगोट को चलाने के लिए युद्ध से पहले अभ्यास भी किया जाता था।
ये खबर भी पढ़ें: एमपी में 10 हाथियों की मौत: सीएम मोहन यादव ने आपात बैठक की, उच्च स्तरीय दल करेगा जांच, 24 घंटे में रिपोर्ट होगी पेश