India’s First Aluminum Freight Rake: भारतीय रेलवे में जहां पर कई सौगातें मिलती रहती है वहीं पर 16 अक्टूबर को केंद्रीय रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने आज भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन पर भारत के पहले एल्युमिनियम फ्रेट रेक- 61 बीओबीआरएनएएलएचएसएम1 (BOBRNALHSM1) का उद्घाटन किया है जो भारत में बनी पहली रेक होगी।
जानें इसे किसने किया तैयार
आपको बताते चलें कि, इस खास रेक को ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) कार्यक्रम के लिए एक समर्पित प्रयास माना गया है वहीं पर इसे आरडीएसओ, हिंडाल्को और बेस्को वैगन की मदद से पूरी तरह से स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है. इसका टेयर सामान्य स्टील रेक से 3.25 टन कम है और इसकी अतिरिक्त वहन क्षमता 180 टन की है जिसके परिणामस्वरूप प्रति वैगन प्रवाह- क्षमता (थ्रूपुट) अपेक्षाकृत ऊंची है। वहीं पर आपको इसकी खासियत में यह मिलेगा कि, ये फ्रेट रेक सामान्य स्टील के डिब्बों के मुकाबले 10 साल ज्यादा चलेंगे. इसमें स्वचालित स्लाइडिंग प्लग दरवाजे लगाए गए हैं और आसानी से ऑपरेट करने के लिए इसमें लॉकिंग सिस्टम के साथ ही एक रोलर क्लोर सिस्टम भी लगाया गया है।
India’s first aluminium rake with 80% salvage value, will serve a longer life of up to more than 10 years than the existing steel rakes. pic.twitter.com/MQ4RkxqsCu
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) October 16, 2022
जानें क्या मिलते है इसके फायदे
- एल्यूमिनियम फ्रेट रेक को बनाने में किसी भी तरह की वेल्डिंग का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इसे पूरे तरह से बोल्ट से लॉक करके बनाया गया है.
- टेयर के अनुपात में उच्च पेलोड 2.85 है.
- टेयर कम होने से कार्बन उत्सर्जन कम होगा क्योंकि खाली दिशा में ईंधन की खपत कम होगी और लोडेड स्थिति में माल ढुलाई अधिक होगी. एक अकेला रेक अपने जीवनकाल में 14,500 टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड बचा सकता है.
- इस रेक की रीसेल वैल्यू 80 प्रतिशत है.
- इसकी लागत 35 प्रतिशत ज्यादा है क्योंकि ये पूरी तरह से एल्यूमीनियम से बना है.
- ये एल्युमिनियम रैक अपने पूरे सेवा काल में करीब 14,500 टन कम कार्बन उत्सर्जन करेगा.
- उच्च संक्षारण और घर्षण प्रतिरोध के कारण कम रखरखाव लागत.