Indian Railways: देश की पहली AC ट्रेन जिसे बर्फ की सिल्लियों से किया जाता था ठंडा, जानिए क्या थी उसकी खासियत

Indian Railways: देश की पहली AC ट्रेन जिसे बर्फ की सिल्लियों से किया जाता था ठंडा, जानिए क्या थी उसकी खासियत

ac train

नई दिल्ली। रेलवे को भारत का लाइफलाइन कहा जाता है। देश का शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो एक बार ट्रेन पर नहीं बैठा होगा। ट्रेन में कई तरह की बोगियां होती हैं। जैसे- सामान्य, स्लीपर, 3rd क्लास, 2nd क्लास और 1st क्लास। इसके अलावा समय के साथ और भी कई तरह की बोगियां भारतीय रेलवे से जुड़ती गईं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि वो कौन सी ट्रेन थी जिसमें सबसे पहले AC बोगी का इस्तेमाल किया गया था और इसकी शुरूआत कैसे हुई थी?

87 साल पहले हुई थी AC बोगी की शुरूआत

बतादें कि, आज से करीब 87 साल पहले ट्रेन में AC की सुविधा शुरू की गई थी। इस ट्रेन का नाम था फ्रंटियर मेल (Frontier Mail Train)। हालांकि, इस ट्रेन ने 1 सितंबर 1928 को अपना सफर शुरू किया था। खास बात यह है कि इस ट्रेन में बैठकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने ट्रैवल किया था। तब इस ट्रेन को ‘पंजाब मेल’ के नाम से जाना जाता था। लेकिन साल 1934 में इसमें एसी कोच जोड़ दिया गया और इसका नाम फ्रंटियर मेल कर दिया गया।

बर्फ की सिल्लियों से किया जाता था ठंडा

गौरतलब है कि, उस वक्त ट्रेन को ठंडा रखने के लिए आज-कल जैसे आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाता था। बल्कि उस समय ट्रेन को ठंडा रखने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था। बोगी के नीचे एक बाक्स रखा जाता था। जिसमें बर्फ रखकर पंखा लगाया जाता था। यह ट्रेन मुंबई से अफगान बार्डर,पेशावर तक चलती थी। तब इस ट्रेन में अंग्रेज अफसरों के अलावा स्वतंत्रता सेनानी भी ट्रैवल किया करते थे। ट्रेन दिल्ली, पंजाब और लाहौर होते हुए पेशावर तक पहुंचती थी। फ्रंटियर मेल 72 घंटे में ये सफर पूरा करती थी। इस दौरान पिघले हुए बर्फ को अलग-अलग स्टेशनों पर निकाल कर भरा जाता था।

ट्रेन की ये थी खासियत

ट्रेन की खासियत थी कि ये कभी लेट नहीं होती थी। शुरू होने के 11 महीनें बाद जब ट्रेन लेट हुई तो सरकार ने कार्रवाई करते हुए ड्राइवर को नोटिस भेजकर जबाव मांगा था। 1930-40 तक इस ट्रेन में 6 बोगियां होती थी। जिनमें 450 लोग सफर किया करते थे। तब इसके फस्ट और सेकंड क्लास यात्रियों को सफर के दौरान खाना भी दिया जाता था। इतना ही नहीं यात्रियों को न्यूज पेपर, बुक्स और ताश के पत्ते एंटरटेनमेंट के लिए दिए जाते थे। पार्टिशन के बाद ये ट्रेन मुंबई से अमृतसर तक चलाई जाने लगी। 1996 में इसका नाम बदलकर ‘गोल्डन टेम्पल मेल’ कर दिया गया।

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