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Indian Railway: भारतीय रेलवे दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। देश में हर वर्ग के लोग कभी न कभी रेलवे से यात्रा तो करते ही हैं। रेलवे कई तरह की ट्रेनें चलाता है। इनमें कई तरह की कोच भी मौजूद होते हैं। जिन्हें लोग अपनी पसंद और आर्थिक स्थिति के अनुसार चुनकर यात्रा करते हैं। जैसे अगर कोई स्लीपर कोच में यात्रा कर रहा है, तो उसे कम किराया देना होता है। वहीं अगर कोई एसी कोच में सफर कर रहा है तो उसे ज्यादा किराया देना होता है। ये तो सुविधाओं के हिसाब से किराए में अंतर है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एक ही रूट पर जाने वाली दो ट्रेन में भी अलग-अलग किया लिया जाता है, ऐसा क्यों होता है?
किस आधार पर तय होता है किराया?
रेलवे की टिकट का किराया पहले तो ट्रेन के टाइप पर निर्भर करता है। जैसे कि मेल ट्रेन, सबअर्बन ट्रेन, एक्सप्रेस ट्रेन, एसी सर्विस ट्रेन आदि में से आप किसमें सफर कर रहे हैं। वहीं कुछ ट्रेन जैसे गरीब रथ, शताब्दी, राजधानी, दुरंतो, तेजस, वंदे भारत, हमसफर, अंतोदय, गतिमान, जन शताब्दी, स्पेशल ट्रेनों का किराया सिस्टम अलग होता है। ये जनरल मैथड से अलग है। इसमें टिकट का किराया किलोमीटर के आधार पर तय किया जाता है, कि आप कितने किलोमीटर का सफर करने जा रहे हैं।
कई प्रकार के चार्ज लगाए जाते हैं
इसके अलावा इसमें कई प्रकार के चार्ज लगाए जाते हैं। जिसमें मिनिमम डिस्टेंस चार्ज, मिनिमम जनरल फेयर, सुपरफास्ट चार्ज, रिजर्वेशन चार्ज, जीएसटी आदि चार्ज शामिल होते हैं। हालांकि ये ट्रेन के टाइप के आधार पर ही तय किया जाता है। जैसे, सुपरफास्ट चार्ज केवल सुपरफास्ट ट्रेनों में ही लगाया जाता है। इन सब को जोड़कर टिकट की कीमत तय होती है।
कैल्कुलेशन
अब आपको पता चल गया होगा कि ट्रेन टिकट में कितने तरह के चार्ज जोड़े जाते हैं। ये चार्ज फिक्स नहीं होते साथ ही किलोमीटर के आधार पर भी इनकी कैल्कुलेशन होती है। इनमें 1-5 किलोमीटर, 6-10, 11-15, 21-25 से लेकर 4951-5000 तक की कैटेगरी शामिल हैं। आपकी यात्रा कितने किलोमीटर की है उसी हिसाब से चार्ज की गणना की जाती है।
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