भोपाल। Indian Railway : रेल यात्रियों के लिए अच्छी खबर है। jabalpur rail mandal जिसका लाभ, भोपाल, जबलपुर और झांसी के bhopal mandal यात्रियों को सबसे ज्यादा होने वाला है। दरअसल रेल विकास निगम लिमिटेड द्वारा किया जा रहा बीना-कोटा दोहरीकरण परियोजना का कार्य पूरा कर लिया गया है। जिसके बाद इसमें सम्मिलित महादेवखेड़ी-मालखेड़ी के बीच दोहरीकरण का कार्य समाप्त होने से भोपाल, जबलपुर और झांसी मंडल आपस में जुड़ जाएंगे। जिसके बाद बीना और कोटा व अन्य सभी पावर हाउस को कोयले की आपूर्ति समय पर होगी। आपको बता दें इसके लिए टेस्टिंग का काम पहले ही पूरा हो चुका है। इस कार्य के पूरा होने पर अब कोयले की आपूर्ति संबंधी बाधा दूर होगी। जिससे रेल की स्पीड भी बढ़ेगी।
ऐसे होगा भोपाल, जबलपुर और झांसी के यात्रियों को फायदा —
आपको बता दें रेलवे के इस कार्य के पूरे होने से ट्रेनों में कोयले की आपूर्ति की जाएगी। आपको बता दें इसके लिए मुख्यालय जबलपुर के अधिकारियों, जबलपुर मंडल के मंडल रेल प्रबंधक, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) सहित भोपाल मण्डल एवं रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के अधिकारियों द्वारा इसके लिए पहले ही निरीक्षण किया जा चुका है।
आज से नॉन इंटरलॉकिंग का काम शुरू —
आपको बता दें इसके लिए रेलवे द्वारा 31 अक्टूबर यानि आज से नॉन इंटरलॉकिंग का काम शुरू हो जाएगा। आपको बता दें 14 अक्टूबर को इस लाइन पर हुए गति परीक्षण में 121 किमी/ घंटा की गति से इंजन चलाकर परीक्षण किया जा चुका है। लाइन के कार्य को पूरे में करने में तीनों मंडल ( जबलपुर, भोपाल तथा झांसी मंडल) 2 साल से भी कम का समय लगा है। हालांकि सीआरएस निरीक्षण 19 को प्रस्तावित है।
ये होगा फायदा —
आपको बता दें इस खंड में चूंकि सिंगल लाइन थी जिसकी वजह कोयले की आपूर्ति न होने के कारण बिजली सब स्टेशनों पर काम में रूकावट आती थी। लेकिन अब इस खंड मे लाइन पूरी होने से ऐसा नहीं होगा। दोहरी करण का काम पूरा होने से सभी समस्याओं में निजाद मिलेगी। इस लाइन में दो अलग—अलग तरह से मंडल जुड़ेंगे। जिसमें ऊपर वाली जबलपुर और भोपाल मंडल को जोड़ती है तो वहीं पुल के नीचे से झांसी मंडल और भोपाल मंडल को जोड़ती है। इतना ही नहीं इसमें महादेवखेड़ी-मालखेड़ी महत्त्वपूर्ण लिंक है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि इससे जबलपुर व कटनी की ओर कोयले की रेक की आपूर्ति होगी उसे बिना किसी रूकावट के बीना, कोटा व अन्य सभी पॉवर हाउसों में किया जा सकेगा। साथ ही साथ ट्रेनों का संचालन भी बड़ी आसानी से किया जा सकेगा।