जगदलपुर। Amit Shah Security in CG केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बस्तर जिले के करनपुर स्थित कोबरा 201/204 बटालियन के कैंप में 24 मार्च की शाम 5ः20 बजे पहुंचेंगे। यहां सीआरपीएफ के 84वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में वे शिरकत करेंगे। अमित शाह लगभग 5 से 7 घंटे कैंप में रुकेंगे। उनके प्रवास से पहले कैंप के चारों तरफ हर दिन करीब साढ़े 3 हजार जवान सर्चिंग पर निकल रहे हैं। सड़क-गांव से लेकर जंगलों में सुरक्षा बल तैनात है। ड्रोन कैमरे से भी इलाके पर नजर रखी जा रही है। बस्तर के संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से माड़पाल होते हुए करनपुर कैंप की सड़क तक जवानों का सख्त पहरा है। जवानों की निगरानी में मजदूर अपना काम कर रहे हैं। कई एकड़ में फैले इस परेड ग्राउंड में चारों तरफ सीआरपीएफ के किए गए कामों की तस्वीरें चस्पा की जा रही हैं। यहां डॉग शो होगा, बाइक स्टंट किया जाएगा। साथ ही अंदर में एक बड़े से दूसरे मैदान में सेल्फी जोन बनाया गया है। अमित शाह इस सेल्फी जोन का अवलोकन करेंगे। यहां भी सीआरपीएफ और कोबरा के अब तक किए कामों की प्रदर्शनी लगाई जा रही है।
अमित शाह 5 से 7 घंटे कैंप में रहेंगे
अमित शाह करीब 5 से 7 घंटे इस कैंप में रहेंगे। इधर कैंप और उसके आस-पास के गांवों में करीब 3 से 4 ड्रोन कैमरों से निगरानी रखी जा रही है। 15 दिन पहले ही दिल्ली से सीआरपीएफ और इंटेलिजेंस की टीम यहां पहुंच हालात का जायजा ले चुकी है। सीआरपीएफ, इंटेलिजेंस के अफसर भी लगातार कैंप का दौरा कर रहे हैं। पिछले करीब 15 दिनों से जवान आस-पास के गांव में लगातार सर्चिंग कर रहे हैं। यदि पास के गांव में कोई भी बाहरी व्यक्ति आ रहा है तो इस बात की खबर इंटेलिजेंस की टीम अफसरों को दे रही है। हर दिन शाम के समय आईबी के जवान अपने इनपुट असफरों को सौंप रहे हैं। करनपुर कैंप के बाहर सड़क से जो भी वाहनें गुजर रही हैं, जवान उसकी तलाशी ले रहे हैं। नक्सल प्रभावित इलाका होने की वजह से सुरक्षा में कोई चूक न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
बस्तर में कुल 48 बटालियन
बस्तर संभाग में माओवदियों का सामना करने पैरामिलेट्री फोर्स की कुल 48 बटालियन तैनात है। 2000 में पहली बार सीआरपीएफ को पहली बार बस्तर में तैनात किया गया था। माओवादी मोर्चे पर डटे सीआरपीएफ के जवानों ने सबसे ज्यादा कुर्बानी दी है। यह पहला मौका है जब सीआरपीएफ का स्थापना दिवस किसी माओवाद ग्रस्त इलाके में मनाया जा रहा है। इससे पहले पिछले साल जम्मू-कश्मीर में यह आयोजन किया गया था। समझा जा रहा है कि सीआरपीएफ इस आयोजन के जरिए अपने शौर्य का भी प्रदर्शन करेगी।