चीन से तनातनी के बीच सेना को मिली 3 सारंग, अंधेरे में लगाती है सटीक निशाना,सरहद पर की जा सकती है तैनात

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जबलपुर। चीन से तनातनी के बीच देश की उन्नत तोपों में शामिल सारंग अब सेना को सौंप दी गई है। जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री से 3 सारंग तोपों को फ्लैगिंग सेरेमनी में सेना को सौंपी गई। बताया जा रहा है कि जल्द ही ये तोप सरहद पर तैनात की जा सकती हैं। सारंग को देश की सबसे ताकतवर तोप धनुष के बाद उन्नत तोपों में गिना जाता है। इसकी मारक क्षमता 40 किमी की है। अपग्रेड होने के बाद यह अंधेरे में भी सटीक निशाना लगा सकती है। इसका बैरल 155 MM 45 कैलिबर का है। खास बात यह है कि लंबे समय से इसका परीक्षण जबलपुर के LPR रेंज में किया जा रहा था। सारंग को अपग्रेड कर इसकी क्षमताओं को बढ़ाया गया है।
ये है सारंग की जानकारी
- सारंग, मूल रूप से एक रशियन गन थी
- जिसे पहले सॉल्टन के नाम पर पहचाना जाता था
- इसकी पहले मारक क्षमता 27 किलोमीटर हुआ करती थी
- इसका बैरल पूर्व में 130 एम एम का था जिसे करीब 25 एमएम बढ़ा दिया गया है
- कुल 300 सारंग गनों को मॉडिफाई कर सेना को सुपुर्द करने का टारगेट रखा गया है
- जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री और गन कैरिज फैक्ट्री को इसका काम सौंपा गया है
- पहले फेज़ मे 180 सारंग तोपों को अपग्रेड कर भेजा जाना है
- प्रोजेक्ट की कुल लागत 200 करोड़ है
अंधेरे में भी दुश्मन पर वार कर सकते हैं
बता दें कि तकनीकी खासियतों के साथ सारंग को बेहतर ढंग से मॉडिफाई कर सेना की ताकत को दोगुना करने का प्रयास भी किया है.।अब इस गन के माध्यम से सैनिक अंधेरे में भी दुश्मन पर वार कर सकते हैं।