India vs Sri Lanka T20 series 2024: 27 जुलाई यानी आज से इंडिया-श्रीलंका के बीच टी-20 सीरीज की शुरुआत हो रही है। इस सीरीज के साथ ही इंडियन क्रिकेट टीम के हेड कोच गौतम गंभीर बतौर कोच डेब्यू कर रहे हैं।
इस सीरीज से पहले आइये जानते हैं हेड कोच गौतम गंभीर के बारे में… उन्हीं के कोच संजय भारद्वाज से…
10 साल के गंभीर को दी ट्रेनिंग
संजय भारद्वाज बताते हैं कि दिल्ली में उनकी एकेडमी में गौतम गंभीर 1991 में आए थे। गंभीर तब 10 साल के थे। तब से उन्होंने गौतम गंभीर ट्रेनिंग दी।
संजय भारद्वाज गौतम गंभीर के रिटायरमेंट यानी साल 2018 तक उनके साथ जुड़े रहे।
हमेशा गंभीर सवाल पूछते हैं गौतम
संजय भारद्वाज बताते हैं कि गौतम गंभीर को सवाल करने ही आदत है। वो सवाल अच्छे पूछते हैं। जब आपका स्टूडेंट अच्छे सवाल करे तो एक टीचर को भी उस हिसाब से ही तैयारी करनी होती है।
जब कोई खिलाड़ी कोच से उस लेवल के सवाल करेगा तो कोच को भी तैयारी करनी पड़ती है।
ऐसे हैं हमारे हेड कोच गंभीर
1. गंभीर एक अलग तरह के माइंडसेट रखते हैं।
2. वे हमेशा जीत के लिये ही खेलते हैं।
3. गंभीर में सीखने की क्षमता बहुत ज्यादा है।
4. जब भी मैदान में उतरते हैं एग्रेशन के साथ उतरते हैं।
5. गौतम गंभीर में एग्रेशन नेचुरल है, यही उनकी जीत का सीक्रेट है।
मैन टू मैन मैनेजमेंट में गंभीर को महारथ
संजय भारद्वाज कहते हैं कि आप जो देखते हैं वो कोच बाहर होता है। जबकि हर खिलाड़ी के अंदर एक कोच होता है। अंदर का कोच मैच में दौरान अंदर से अपनी रणनीति बनाता है।
उन्हें यहां फिल्डर रखना है, उन्हें यहां से बॉल लेनी है, उन्हें ये करना है। तो इसका मतलब है कि वो समझदार हैं। उन्होंने मेंटरशिप की है।
जो कोच मैन टू मैन को मैनेज करता है, वह लड़कों से बेहतर तरीके से इसे संभालेगा। गंभीर की ये खासियत मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह थी। गंभीर एक बेहतर कोच साबित होंगे।
गंभीर यानी खिलाड़ियों को खुलकर खेलने की स्वतंत्रता
राष्ट्रीय स्तर पर जब खिलाड़ी पहुंचते हैं तो बहुत संघर्ष और मेहनत से पहुंचते हैं। ऐसे में खिलाड़ियों के अंदर एक असुरक्षा की भावना आ जाती है।
खिलाड़ी चाहता है कि ऐसा कुछ न हो जिसकी वजह से वो उस जगह या लेवल से नीचे आ जाए। वहां गौतम गंभीर आता है और कहता है…तुम अपना क्रिकेट खेलो, मैं तुम्हारे साथ हूं।
गंभीर को मैदान के अंदर या बाहर होना…मतलब खिलाड़ियों के लिए खुलकर खेलने की स्वतंत्रता।
मैदान में गंभीर तो वो जीतने के लिये ही खेलेगा
संजय भारद्वाज ने बताया कि क्रिकेट गंभीर का पेशन था और पेशन है। इसी पेशन के साथ वो आज भी क्रिकेट से जुड़े हैं। गौतम गंभीर कहते हैं कि यदि मैं अकेला भी खड़ा हूं तो मैं मैच जिता दूंगा।
ये उन्होंने किया भी है। पंजाब के साथ मैच था। लास्ट विकेट थी। 150 रन चेस करने थे। उन्होंने दूसरे एंड पर खड़े खिलाड़ी से कहा कि तुम बस विकेट संभालो।
उस खिलाड़ी ने 99 बॉल पर सिर्फ 1 रन बनाए और गंभीर ने 149 रन नॉट आउट बनाए। ये है गौतम गंभीर।
गौतम गंभीर को गुस्सा क्यों आता है?
गंभीर को गुस्सा क्यों आता है इस सवाल के जवाब में उनके कोच भाद्वाज ने बंसल न्यूज डिजिटल को बताया कि मीडिया उन्हें ऐसा दिखाता है, वो ऐसे हैं नहीं।
गंभीर क्रिकेट को सबसे आगे रखते हैं। वो कहते हैं ये मेरा प्रोफेशन है और मैं अपने प्रोफेशन को अपना बेस्ट दूंगा। मेरे प्रोफेशन में मेरी हार नहीं होगी। हो सकता है किसी को वो बहुत ज्यादा सीरियस लगते हों। बिल्कुल वो एग्रेसिव हैं, लेकिन एग्रेसिव हैं तो वो अपने क्रिकेट के लिये हैं। जब बाहर हैं तो वो कोई एग्रसिव नहीं है।
पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर ने लक्ष्मण की पैरवी की थी!
जिम्बाब्वे सीरीज भारत ने हाल ही में वीवीएस लक्ष्मण के नेतृत्व में जीती। पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर तनवीर अहमद ने इसी का हवाला देकर लक्ष्मण को बतौर कोच पहले मौका दिये जाने की पैरवी की।
इस पर संजय भारद्वाज ने कहा कि ये देखना बीसीसीआई का काम है। ये प्रोफेशन सामान्य नहीं है। हम इसे सामान्य नौकरी की तरह नहीं देख सकते।
परिणाम देना होता है। किस वक्त कौन कोच खिलाड़ियों के लिये सही है, बीसीसीआई इसी आधार पर कोच नियुक्त करती है। पहले तो हमारे कोच विदेशी होते थे। अब अनुभवी भारतीय खिलाड़ी कोच हैं। ये अच्छी बात है।
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