कोझिकोड। Indian Economy: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव सहित वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि कडे़ वित्तीय नियमों के चलते भारत एक बड़ा वैश्विक खिलाड़ी बनने की राह पर है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि वैश्विक उतार-चढ़ाव तथा वृद्धि के जोखिमों के बावजूद भारत मजबूती से बढ़ने के लिए ‘‘उचित स्थिति’’ में है और ऐसा करने के लिए ऋण बाजार विकसित करना आवश्यक है।
आईआईएम कोझिकोड में आयोजित हुआ सेमिनार
संस्थान द्वारा जारी की एक विज्ञप्ति के अनुसार, राव और अन्य वित्तीय विशेषज्ञों ने सोमवार को आयोजित आईआईएम कोझिकोड के ‘बैंकिंग विनियमन, मध्यवर्ती सुदृढ़ता और प्रणालीगत स्थिरता पर पहले वार्षिक सेमिनार’ में अपने विचार व्यक्त किए।
ऋण जोखिमों से निपटने के लिए राव ने कहा कि वित्त मध्यस्थों को अपनी रणनीतियों में ऋण जोखिम को एक मुख्य कारक के रूप में स्वीकार करना चाहिए।
इन पांच तत्वों पर आधारित योजना बनाने का आह्वान
विज्ञप्ति के अनुसार, उन्होंने पांच तत्वों – माप, निगरानी, प्रबंधन, शमन और प्रवासन पर आधारित एक रूपरेखा तैयार करने का आह्वान किया।
राव ने कहा कि ऋण बाजार को और अधिक ‘‘लचीला’’ होने की जरूरत है। आईआईएम कोझिकोड के निदेशक प्रोफेसर देबाशीष चटर्जी ने नवाचार, समावेशिता और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए बेहतर विकसित वित्तीय प्रणालियों के महत्व पर जोर दिया।
वित्तीय संप्रभुता बनाए रखने में आरबीआई की भूमिका अहम
उन्होंने देश की वित्तीय संप्रभुता को बनाए रखने में आरबीआई द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की भी सराहना की।
कार्यक्रम में साउथ इंडियन बैंक, मुथूट फाइनेंस और फेडरल बैंक जैसे बैंकिंग प्रतिष्ठानों के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) भी शामिल हुए।
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