India Israel Iran Relations: पूर्वी पाकिस्तान से बांग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र राष्ट्र के उदय में लेफ्टिनेंट जनरल जेएफआर जैकब की बड़ी भूमिका थी। वे यहूदी थे और उनकी वर्दी लैट्रन स्थित इजराइली सैन्य संग्रहालय में आज भी लगी हुई है। एक इजराइली पत्रकार ने उनसे पूछा की क्या वे कभी इजराइल जाना चाहते थे या वहां की सेना में शामिल होना चाहते थे, तो उन्होंने कहा, मुझे यहूदी होने पर गर्व है, लेकिन मैं पूरी तरह से भारतीय हूं। मुझे इस देश से प्यार है, जिसने इतिहास में यहूदियों के साथ किसी भी अन्य देश से बेहतर व्यवहार किया है। यह मेरा घर है, यहीं मैं मरना चाहता हूं। जैकब को नई दिल्ली के यहूदी कब्रिस्तान में दफनाया गया है।
पारसी समुदाय ने धरोहर को भारत में संरक्षित-समृद्ध किया
पारसी समुदाय, जो मूल रूप से ईरान से है, पारसी समुदाय ने भारत में अपनी धरोहर को संरक्षित और समृद्ध किया है, जिससे सांस्कृतिक संबंधों में योगदान मिला है। बहुत कम संख्या होने के बाद भी पारसी समुदाय ने देश में विभिन्न औद्योगिक और आर्थिक सुधारों को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी कड़ी मेहनत और उद्यमशीलता ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पारसियों के पास समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है और उन्होंने देश पर अमिट प्रभाव छोड़ा है। उन्होंने देश के निर्माण में बढ़-चढ़कर योगदान दिया है। अगर टाटा और गोदरेज आधुनिक उद्योग के निर्माण में माहिर माने जाते हैं तो होमी भाभा ने भारत को परमाणु शक्ति सक्षम बनाया। टाटा समूह सिर्फ भारत का व्यापारिक दिग्गज ही नहीं, बल्कि समय के साथ वैश्विक स्तर पर मजबूत विश्वसनीय ब्रांड बन चुका है।
ईरानी नेता खुमैनी की जड़ें यूपी के बाराबंकी से जुड़ीं

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खुमैनी की जड़ें उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से जुड़ी हुई हैं। खुमैनी के दादा सैयद अहमद मुसावी का जन्म 19वीं सदी की शुरुआत में बाराबंकी के किंतूर गांव में हुआ था। अहमद मुसावी के पिता दीन अली शाह मध्य पूर्व से भारत आकर बाराबंकी में बस गए थे। अहमद मुसावी ने अपने नाम के साथ ‘हिंदी’ जोड़कर भारत से अपना जुड़ाव बनाए रखा। 1834 के आसपास अहमद मुसावी भारत छोड़कर ईरान चले गए। भारतीय शिया आबादी ईरान के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी है भारत। दुनिया का एकमात्र गैर मुस्लिम राष्ट्र है जिसकी कुल आबादी का चार फीसदी शिया आबादी है और जिसने मोहर्रम के रूप में सूचीबद्ध आशूरा के दिन को भारत में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मान्यता दी है।
भारत, इजराइली हथियारों का सबसे बड़ा ग्राहक
इजराइल पर हमास के हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विट कर कहा कि मुश्किल घड़ी में भारत इजराइल के साथ खड़ा है। भारत और इजराइल रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में काफी सहयोग कर रहे हैं। इसके तहत हथियारों की खरीद फरोख्त, सेनाओं के बीच तालमेल और आतंकवाद से मुकाबले में सहयोग शामिल है। पिछले एक दशक के दौरान भारत, इजराइल में बने हथियारों का सबसे बड़ा ग्राहक बन गया है और इस मामले में उसने अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है। इजराइल के सेंसर, हेरोन ड्रोन, हाथ में पकड़कर चलाए जा सकने वाले थर्मल इमेजिंग के उपकरणों और रात में देखने में मदद करने वाले औजारों ने भारत को नियंत्रण रेखा के उस पार से घुसपैठ रोकने और कश्मीर घाटी में आतंकवाद के खिलाफ अभियानों में काफी मदद दी है। भारत, इजराइल से जो हथियार खरीदता है, उनमें मानवरहित विमान, मिसाइलें और रडार सिस्टम का दबदबा है। ऑपरेशन सिंदूर में भारत का इजराइल ने खुलकर समर्थन किया था।
इजराइल का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी ईरान

वहीं इजराइल का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी ईरान, यूरेशिया और हिन्द महासागर के मध्य एक प्राकृतिक प्रवेश द्वार है, जिससे भारत रूस और यूरोप के बाजारों तक आसानी से पहुंच सकता है। एशिया महाद्वीप की दो महाशक्तियां भारत और चीन की सामरिक प्रतिस्पर्धा समुद्री परिवहन और पारगमन की रणनीति पर देखी जा सकती है। चीन की पर्ल ऑफ स्प्रिंग के जाल को भेदने के तौर पर चाबहार बंदरगाह भारत की उम्मीद है। मध्य पूर्व का भौगोलिक क्षेत्र तीन महाद्वीपों का संगम क्षेत्र है। यूरोप, एशिया और अफ्रीका। यह क्षेत्र लाल सागर, काला सागर तथा एड्रियाटिक सागर नामक तीन जलडमरू मध्यों के द्वारा चौथे समुद्र भूमध्यसागर से भी जुड़ा है। सीमा की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण क्षेत्र अल्जीरिया और ट्यूनीशिया की पूर्वी सीमा से लेकर अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान तक फैला हुआ है। चाबहार बंदरगाह, वैश्विक बाजार में पहुंच बढ़ाने के लिए भारत के लिए बहुत मददगार बन सकता है।
भारत की अपील- ईरान और इजराइल संघर्ष का रास्ता छोड़ें
ईरान और इजराइल के बीच जारी भीषण संघर्ष में दुनिया की निगाहें भारत की ओर हैं। इसका कारण यह है कि इन दोनों देशों से भारत के इतने खास संबंध हैं कि यहूदी हो या शिया, दोनों भारत को दूसरा घर समझते हैं। भारत भी इन दोनों देशों को खास महत्व देता है। भारत ने भी दोनों देशों से अपील की कि वे संघर्ष का रास्ता छोड़कर कूटनीतिक तरीके से समस्या का हल निकालें।
(लेखक विदेशी मामलों के जानकार हैं)
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